Bihar News: बिहार में बीजेपी के दो दिग्गज नेता कानूनी मुश्किलों में फंस गए हैं. पूर्व विधायक आशा सिन्हा की जमानत रद्द होने के साथ ही उनके खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है, वहीं पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दर्ज किया गया है. दोनों नेताओं पर अलग-अलग विवादों के चलते यह कार्रवाई हुई है.

आशा सिन्हा की गिरफ्तारी का आदेश

पटना की एक विशेष अदालत ने कल मंगलवार को दानापुर की पूर्व विधायक आशा सिन्हा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया. उन पर आचार संहिता उल्लंघन और सरकारी आदेश की अवमानना का आरोप है. यह मामला 2015 का है, जब 7 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के दौरान आशा सिन्हा ने कथित तौर पर सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करते हुए वाहन जुलूस निकाला था.

आशा सिन्हा इस मामले में जमानत पर थीं, लेकिन बार-बार कोर्ट में पेश न होने के कारण उनके खिलाफ गैर-जामनती का वारंट जारी किया गया है. अदालत ने 13 मई 2025 को उन्हें व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के बाद मंगलवार को उनकी जमानत रद्द कर दी गई और गिरफ्तारी का आदेश जारी हुआ.

अश्विनी चौबे पर मुकदमा

दूसरी ओर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे भी कानूनी विवाद में घिरे हैं. मामला बखरी में मां जानकी की प्रतिमा निर्माण से जुड़ा है, जिसे रामायण रिसर्च काउंसिल देख रहा है. आरोप है कि मंदिर निर्माण की गतिविधियों में पुनौरा मंदिर की तस्वीरों का दुरुपयोग कर लोगों को गुमराह किया गया. इस मामले में बखरी के निवासी राजीव कुमार ने स्थानीय सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया है.

मुकदमे में अश्विनी चौबे, जो काउंसिल के संरक्षक हैं, के अलावा संस्थापक कुमार सुशांत और बिहार प्रभारी बब्बन सिंह को भी आरोपी बनाया गया है.

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