रायपुर. केंद्र सरकार की नवरत्न कंपनी एनएमडीसी द्वारा फेडरेशन आॅफ इंडियन चैंबर आॅफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के सहयोग से “नए परिदृश्य में जिम्मेदार खनन एवं खनिज समृद्ध राज्यों में खनन एवं इस्पात के लिए निवेश और विकास के अवसर” विषय पर मंगलवार को रायपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री विष्णुदेव साय ने किया।

इस अवसर पर साय ने कहा कि इस्पात उत्पादन में देश का प्रदर्शन काफी संतोषजनक है। यह क्षेत्र देश की जीडीपी में दो फीसदी से ज्यादा का योगदान देकर देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यही वजह है कि सरकार भी निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए अत्यधिक प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। सीएसआर कार्यों के लिए एनएमडीसी की सराहना करते हुए केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री ने कहा कि पिछले छह दशकों में एनएमडीसी ने देश को बहुमूल्य योगदान दिया है। पिछले वित्त वर्ष में कंपनी द्वारा 35.6 मिलियन टन लौह अयस्क का उत्पादन किया जो कि देश के कुल घरेलू उत्पादन का लगभग 25 फीसदी है। इस उपलब्धि का श्रेय कंपनी के कुशल नेतृत्व को दिया जाना चाहिए।

एनएमडीसी की खदानों को इंडियन ब्यूरो आॅफ माइंस द्वारा सस्टेनेबल प्रैक्टिसेज के लिए पांच सितारा रेटिंग दिया जाना भी कंपनी की उत्पादन उत्कृष्टता का उदाहरण है। परियोजना अस्पतालों में जनजातीय लोगों के लिए निशुल्क उपचार समेत अन्य सीएसआर गतिविधियों से भी प्रदेश में विकास को गति मिल रही है। साय ने इस संगोष्ठी के जरिये माइनिंग सभी स्टेकहोल्डर्स को एक मंच पर लाने के लिए आयोजकों का आभार जताते हुए कहा कि इस्पात और खनन उद्योग से जुड़ी चुनौतियों से उबरने में यह संगोष्ठी मील का पत्थर साबित होगी।

इससे पूर्व एनएमडीसी के सीएमडी एन बैजेंद्र कुमार ने कहा कि एनएमडीसी जगदलपुर के समीप नगरनार में लगभग 20 हजार करोड़ रूपये के निवेश से स्टील प्लांट लगा रही है। इससे छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होगा। सहायक उद्योग विकसित होंगे। हमारा पूरा प्रयास है कि इस साल के अंत तक यह प्लांट शुरू हो जाए। यह एनएमडीसी का सौभाग्य है। जो राशि एनएमडीसी ने छत्तीसगढ़ की माटी से अर्जित की है, उसका उपयोग वहीं के विकास में किया जा रहा है। वनांचल के लोगों के सहयोग और विश्वास का ही नतीजा है कि नगरनार में एनएमडीसी का स्टील प्लांट समेत कई परियोजनाएं गति पकड़ रही हैं।

कुमार ने कहा कि एनएमडीसी शुरू से ही सस्टेनेबल माइनिंग में विश्वास करती है। यही वजह है कि हम ईको फ्रेंडली परंपरा का पालन करते हैं। जिम्मेदारी से खनन करते हैं। संगोष्ठी के दौरान ही नेशनल इंस्टीटयूट आॅफ टेक्नोलाॅजी के साथ एक एमओयू साइन किया गया है जिससे पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को अधिक बल मिलेगा। साथ ही ‘चिप्स’ के साथ साइन किए गए एक अन्य एमओयू हस्ताक्षरित कर माइनिंग इंडस्ट्री के लिए इलैक्ट्रिक सिस्टम्स ड्राइवन आॅटोमेशन और सूचना तकनीक में नवोन्मेष केे लिए कार्य शुरू होगा।

बैजेंद्र ने कहा कि 60 सालों की अपनी यात्रा पूरी होने के अवसर पर एनएमडीसी अपने हीरक जयंती वर्ष में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इसी क्रम में अक्टूबर में दिल्ली में भी एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि एनएमडीसी ने अपने उत्पादन और बिक्री के लक्ष्यों को पूरा करते हुए इस साल अब तक का सबसे बेहतर रिकाॅर्ड उत्पादन और बिक्री कर उत्कृष्ट रेटिंग पाई है। इसके लिए कार्मिकों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि जरा से मोटीवेशन से एनएमडीसी के मेहनतकश और लगनशील बेहतरीन परिणाम दे सकते हैं। दंतेवाड़ा जिले में सीएसआर के तहत कराए गए ऐसे कार्य जिनको राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली है, के लिए भी कुमार ने अपने कार्मिकों की प्रशंसा की।

इस अवसर पर संयुक्त सचिव (इस्पात) सुनील बर्थवाल ने अपने संबोधन में कहा कि आयरन और स्टील उत्पादन की दृष्टि से छत्तीसगढ देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण राज्य है। छत्तीसगढ़ उन तीन राज्यों में से एक है जो देश के कुल इस्पात उत्पादन का 80 फीसदी उत्पादन करते हैं। छत्तीसगढ़ में पर्याप्त बिजली है। छत्तीसगढ़ में नाॅन कोकिंग कोल रिजर्व की प्रचुरता है जो डीआरआई उत्पादन में सहायक है। इन तीनों की उपलब्धता से छत्तीसगढ़ इस्पात उद्योग के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस आयोजन के लिए यह जगह चुनने के लिए एनएमडीसी और फिक्की को बधाई दी जानी चाहिए क्योंकि लौह एवं इस्पात उद्योग का भविष्य छत्तीसगढ़ पर निर्भर है। छत्तीसगढ़ प्रदेश बिजली के जरिये इलैक्ट्रिक रूट फाॅर प्रोडक्शन और आयरन एंड स्टील में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। नगरनार इस्पात संयंत्र के बाद मेकाॅन की मदद से देश के भीतर ही उपकरण निर्माण करना आसान होगा।

छत्तीसगढ़ शासन के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री अमर अग्रवाल ने बड़ी संख्या में सेमिनार में शामिल हुए माइनिंग एक्सपर्ट और शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा कि यह आयोजन आने वाले समय में प्रदेश की अर्थव्यस्था को मजबूत करेगा। हमारे देश के खनिज संसाधन को देखें तो पाएंगे कि दुनिया के खनिज संसाधनों से ज्यादा हमारे देश में हैं लेकिन तुलना करें तो पाएंगे कि माइनिंग सेक्टर का योगदान देश की अर्थव्यवस्था में कम है। यह हम लोगों के लिए अवसर है कि माइनिंग के जरिये अपने प्रदेश और देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाएं। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य रहा जो खनन के मिलने वाली अपनी राॅयल्टी का 15 फीसदी हिस्सा माइनिंग के एक्सप्लोरेशन पर खर्च कर रहा है।

शुरूआत में एनएमडीसी के निदेशक (उत्पादन) पी.के. सत्पथी ने अपने स्वागत संबोधन में सेमिनार का उद्देश्य और महत्व के बारे में प्रकाश डाला। इससे पूर्व केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री और अन्य अतिथियों ने सेमिनार स्थल पर आयोजित की गई प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। यहां एनएमडीसी द्वारा कंपनी की गतिविधियों एवं भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न माइनिंग माॅडल्स प्रदर्शित किए जा रहे हैं। साथ ही अन्य कंपनियों द्वारा भी अपनी गतिविधियों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम के दौरान डायमंड जुबली वर्ष मेें कंपनी द्वारा प्रकाशित की गई अपनी पहली काॅरपोरेट सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट और सेमिनार की स्मारिका का भी विमोचन किया गया।