कटक: विवाह प्रमाण पत्र जारी करने वाले नोटरी कार्यकर्ताओं पर नाराजगी व्यक्त करते हुए, ओड़िशा हाई कोर्ट ने प्रदेश को राज्य के सभी नोटरी के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने और वर्ष में कम से कम दो बार उनके दस्तावेजों का ऑडिट करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि मैरेज सर्टिफिकेट जारी करना नोटरी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता. नोटरी जाने-अनजाने में यह गैरकानूनी काम कर रहे हैं. बालेश्वर के सिमुलिया इलाके में नोटरी द्वारा जारी किए गए विवाह प्रमाण पत्र को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

18 मार्च 2009 को, राज्य कानून विभाग ने सभी नोटरी को विवाह प्रमाण पत्र जारी नहीं करने के लिए अधिसूचित किया था. जिसमें कहा गया था कि नोटरी अधिनियम, 1952 की धारा 8 (1) के तहत विवाह प्रमाण पत्र जारी करना नोटरी का कार्य नहीं है. इसके अलावा, देश भर की अदालतों ने भी बार-बार नोटरी अधिवक्ताओं को एसे कार्य के लिए टोका है.

रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे निर्देशों के बावजूद, नोटरी ऐसे विवाह प्रमाणपत्र जारी करने से परहेज नहीं कर रहे हैं जिनका कानून की नजर में कोई मूल्य नहीं है, और विवाह के किसी भी वैध सबूत के बिना, वे पार्टियों के बीच मिलन की घोषणा के निष्पादन की अनुमति दे रहे हैं. जिससे आगे चल कर दंपतियों को परेशान होना पड़ता है. इसके साथ ही कोर्ट का बहुमुल्य समय भी बरबाद होता है.