नई दिल्ली . दिल्ली के शिक्षा मॉडल को देख बाकी अन्य प्रदेशों की सरकारों को भी लगने लगा है कि उन्हें भी शिक्षा को बदलना चाहिए. यह बात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कही. केजरीवाल ने कहा कि अब कोई सरकार या पार्टी यह नहीं कह सकती कि सरकारी स्कूल ठीक नहीं हो सकते. जिन स्कूलों को लेकर कहा जाता था कि इन्हें ठीक नहीं किया जा सकता, उनका हमारी सरकार ने न केवल ढांचा बदला, बल्कि उनमें विश्व स्तरीय शैक्षिक माहौल भी तैयार किया.
मुख्यमंत्री ने कहा, आजादी के बाद 20-25 साल का सफर उठाकर देखें तो उस वक्त के आईएएस, आईपीएस या नेता सब सरकारी स्कूलों से पढ़कर आया करते थे, लेकिन उसके बाद से लगातार गिरावट आती चली गई. नतीजा रहा कि 75 वर्षों में धीरे-धीरे सरकारी स्कूल खराब होते गए और प्राइवेट स्कूल बढ़ते गए. हालत यह हो गई कि हर व्यक्ति यह चाहने लगा कि वे अपने बच्चों को सरकारी की जगह प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाए. हमसे पहले की सरकारों में 10-10 सरकारी स्कूलों को सीएसआर के तहत कंपनी को दे दिया जाता था. स्कूलों की जमीनों का व्यवसायीकरण होता था. उस वक्त देश में शिक्षा के निजीकरण का माहौल चल रहा था. गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के सामने चुनौती थी कि अगर गुणवत्ता युक्त शिक्षा चाहिए तो पैसे चाहिए और उनके पास पैसे नहीं हैं. हमने बीते 8 साल के अंदर इस धारणा को बदला है.
ऑडिटोरियम की यह है खासियत 416 वर्ग मीटर के फ्लोर एरिया वाले ऑडिटोरियम में एक साथ 335 लोग बैठक सकेंगे. बिजली की खपत कम करने के लिए वीआरवी एयर कंडीशनिंग सिस्टम लगाया गया है. यहां एक ग्रीन रूम, मेडिकल रूम, वॉशरूम और स्टोर सुविधाएं हैं. इसमें थिएटर स्टाइल में पुश बैक कुर्सियां भी लगाई गई हैं. नया स्पीकर सिस्टम, सब-वूफर, स्टेज मॉनिटरिंग सिस्टम, वायरलेस प्रेजेंटेशन सिस्टम, प्रेजेंटेशन और भाषणों के लिए मल्टी मीडिया पोडियम व फिल्म स्क्रीनिंग आदि की सुविधाएं हॉल में मौजूद हैं. साथ ही 161 वर्ग मीटर क्षेत्र में एक कॉन्फ्रेंस हॉल भी बनाया गया है.
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा कि स्कूल में नवनिर्मित ऑडिटोरियम के बहुत मायने हैं. इस तरह की आधुनिक सुविधाओं से लैस ऑडिटोरियम दिल्ली के सबसे अच्छे प्राइवेट स्कूल के अंदर भी नहीं मिलेगा. हमारी सरकारी स्कूलों के अंदर जैसा इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया गया है, वैसा प्राइवेट स्कूलों में भी नहीं है. बीते आठ वर्षों के अंदर शिक्षा में जो बदलाव हुआ है, वो बहुत ही सकारात्मक है. अब सरकारी स्कूलों में शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा. स्कूलों के प्रिंसिपल्स को यूएसए, यूरोप और सिंगारपुर समेत अन्य देशों में भेजा जा रहा है, जिससे वे वहां के बेहतर शैक्षिक माहौल से जुड़ा प्रशिक्षण लेकर उसे यहां पर लागू करें. उधर, दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि आज छात्रों के प्रदर्शन को देखने के बाद गर्व से कह सकती हूं कि आत्मविश्वास के मामले में हमारे बच्चों ने प्राइवेट स्कूलों को काफी पीछे छोड़ दिया है. आने वाले 10-15 वर्षों में ये बच्चे भविष्य के लीडर्स के रूप में उभरेंगे.