रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज अपनी रेडियो वार्ता लोकवाणी की नवीं कड़ी के माध्यम से आम जनता से रूबरू हुए. उन्होंने 9 अगस्त को अगस्त क्रांति दिवस और विश्व आदिवासी दिवस का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए इनके महत्व की चर्चा की. उन्होंने प्रदेशवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं भी दीं. बघेल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आज के ही दिन वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरु करने की घोषणा की और ‘करो या मरो’ का नारा दिया. यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़ साबित हुई.

‘न्याय योजनाएं, नई दिशाएं’

मुख्यमंत्री ने रेडियो श्रोताओं के साथ ‘न्याय योजनाएं, नई दिशाएं’ की व्यापक अवधारणा और स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर वर्तमान दौर में इसके क्रमशः विकास और आदिवासियों, किसानों, मजदूरों, जरूरतमंदों सहित सभी वर्गाें के लिए न्याय योजना को धरातल पर उतारने के राज्य सरकार के संकल्प को साझा करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि हमारी आजादी की लड़ाई का हर दौर न्याय की लड़ाई का दौर था. भारत की आजादी ने न सिर्फ भारतीयों की जीवन में न्याय की शुरूआत की, बल्कि दुनिया के कई देशों में लोकतंत्र की स्थापना और जन-जन के न्याय का रास्ता बनाया। भारत माता को फिरंगियों की गुलामी से मुक्त कराना ही न्याय की दिशा में सबसे बड़ी सोच और सबसे बड़ा प्रयास था. दुनिया ने देखा है कि किस प्रकार हमारा संविधान समाज के हर समुदाय को न्याय देने का आधार बना. आम जनता को समानता के अधिकार, अवसर और गरिमापूर्ण जीवन उपलब्ध कराने के सिद्धांत के आधार पर अन्याय की जंजीरों से मुक्ति दिलाई गई.

बघेल ने कहा कि आज जब कोरोना संकट के कारण देश और दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में है तब ‘न्याय’ की यही अवधारणा संकटग्रस्त लोगों के जीवन का आधार बन गई है, जिससे लोगों की जेब में सीधे धन राशि जाए और जो ऋण के रूप में नहीं, बल्कि उन्हें सीधे मदद के रूप में हो. राहुल गांधी ने देश और दुनिया के विख्यात अर्थशास्त्रियों से विचार-विमर्श करते हुए ‘न्याय’ की इस अवधारणा को प्रतिपादित किया और इसे जमीन पर उतारने का आह्वान किया. मुझे यह कहते हुए खुशी होती है कि छत्तीसगढ़ में हमने इस न्याय योजना के विविध आयामों पर कार्य करना और एक-एक कर उन्हें जमीन पर उतारना शुरू किया है.

किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल भुगतान कर वादा निभाया

मुख्यमंत्री ने कहा कि 17 दिसम्बर 2018 को सरकार बनते ही हमने, पहले दिन से वादा निभाने की शुरूआत कर दी थी. हमने किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से तत्काल प्रभाव से भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी. वर्षों से लंबित 17 लाख 82 हजार किसानों का 8 हजार 755 करोड़ रुपए कृषि ऋण माफ कर दिया गया. हमने 244 करोड़ रुपए का सिंचाई कर माफ कर दिया था. लोहंडीगुड़ा में 1700 से अधिक आदिवासी किसानों की 4200 एकड़ जमीन वापिस कर दी. हमने तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ा कर 4000 रुपए प्रति मानक बोरा कर दिया.

 31 वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी और निरस्त वन अधिकार पट्टों की समीक्षा 

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनांचल में रहने वाले लोगों को कोरोना संकट काल में राहत देने के लिए प्रदेश में 7 से बढ़कर 31 वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है. और हमारा अनुमान है कि आगे चलकर 2500 करोड़ रू की राशि आदिवासियों तथा अन्य वन आश्रित परिवारों को साल भर में मिलेगी. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी -वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम-2006 एक मील का पत्थर था। लेकिन छत्तीसगढ़ में 12 वर्षों में इसकी जो उपेक्षा की गई वह किसी से छिपी नहीं है. निरस्त दावों का पहाड़ लगा दिया गया था. हमने न्याय को बहुत व्यापक रूप से समझा और पूर्व सरकार द्वारा निरस्त वन अधिकार पट्टों की समीक्षा का फैसला लिया. इस प्रकार अब बड़ी संख्या में व्यक्तिगत तथा सामुदायिक वन अधिकार पट्टे दिये जा रहे हैं.

 जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की मुक्ति का निर्णय

भूपेश बघेल ने कहा कि सामाजिक न्याय देने के लिए हमने जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की मुक्ति का निर्णय लिया. झीरम घाटी में हुए हत्याकांड में शहीद परिवारों को न्याय दिलाने का फैसला लिया और इस फैसले को अंजाम तक पहुंचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस तरह हमने समाज के हर वर्ग को शोषण और अन्याय से मुक्त कराने की दिशा में कार्य किया है.

किसानों को अन्याय से बचाने ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ की शुरूआत

मुख्यमंत्री ने रेडियोवार्ता में कहा कि पहले साल धान के किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल का दाम देने के बाद जब दूसरा साल आया तो एक बड़ी बाधा सामने आ गई. हमने करीब 83 लाख मीट्रिक टन धान खरीद कर एक नया कीर्तिमान बनाया, इन किसानों को 2500 रुपए की दर से भुगतान किया जाना था लेकिन केन्द्र सरकार ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी. ऊपर से यह कहा गया कि यदि हमने केन्द्र द्वारा घोषित समर्थन मूल्य से अधिक दर दी तो सेन्ट्रल पूल के लिए खरीदी बंद कर दी जायेगी. इस तरह फिर एक बार हमारे किसान अन्याय की चपेट में आ जाते. ऐसी समस्या के निदान के लिए हमने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू करने की घोषणा की. हमारी मंशा थी कि किसानों को कर्ज से नहीं लादा जाये बल्कि उनकी जेब में नगद राशि डाली जाए। इस तरह समग्र परिस्थितियों पर विचार करते हुए हमने सिर्फ धान ही नहीं बल्कि मक्का और गन्ना के किसानों को भी बेहतर दाम दिलाने की बड़ी सोच के साथ ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ शुरू की.

हमारी न्याय दिलाने की विरासत से जुड़ी है ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’

बघेल ने कहा कि राजीव गांधी कहा करते थे, यदि किसान कमजोर हो जायेगा तो देश अपनी आत्मनिर्भरता खो देगा. किसानों के मजबूत होने से ही देश की स्वतंत्रता भी मजबूत होती है. इस तरह से देखिए तो एक बार फिर स्वतंत्रता, स्वावलंबन और न्याय के बीच एक सीधा रिश्ता बनता है. निश्चित तौर पर यह एक बड़ी योजना है, जिसके माध्यम से धान, मक्का और गन्ना के 21 लाख से अधिक किसानों को 5700 करोड़ रुपए का भुगतान उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से किया जाना है. हमने तय किया 5700 करोड़ रू. की राशि का भुगतान 4 किस्तों में करेंगे. जिसकी पहली किस्त 1500 करोड़ रुपए 21 मई को किसानों की खाते में डाल दी गई है. 20 अगस्त को राजीव जी के जन्म दिन के अवसर पर दूसरी किस्त की राशि भी किसानों के खाते में डाल दी जायेगी. इस तरह राजीव गांधी किसान न्याय योजना हमारी न्याय दिलाने की विरासत से सीधी तौर पर जुड़ जाती है. उन्होंने कहा कि हमने ‘भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ की घोषणा की है ताकि ऐसे ग्रामीण परिवारों को भी कोई निश्चित, नियमित आय हो सके, जिनके पास खेती के लिए अपनी जमीन नहीं है.

गोधन न्याय योजना ग्रामीणों की आजीविका और समृद्धि का माध्यम

मुख्यमंत्री ने गोधन न्याय योजना के संबंध में रेडियोवार्ता में कहा कि हमने न्याय योजनाओं के क्रम में गोधन न्याय योजना को ग्रामीण जन-जीवन, लोक आस्था ही नहीं बल्कि सीधे आजीविका और समृद्धि का माध्यम बनाने का निर्णय लिया. नरवा-गरवा-घुरवा-बारी अगर छत्तीसगढ़ की चिन्हारी है तो गौ माता हमारी भारतीयता की, भारतीय संस्कृति की, भारतीय लोक आस्था की और हमारी एकता तथा सद्भाव की भी चिन्हारी है. जब हमने गोबर को गोधन बनाने का फैसला किया तो कथित विशेषज्ञों और राजनेताओं के एक वर्ग ने इसका पुरजोर विरोध किया. गोबर से तो हमारे घर आंगन लीपे जाते हैं, गोबर को अपने घर की दीवारों पर थापकर हम कंडे बनाते हैं. गोबर से बेहतर जैविक खाद और कोई नहीं है. गौ मूत्र और गौ माता के उपकारों का मोल तो हो ही नहीं सकता.

उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना को हमने छत्तीसगढ़ के हर गांव में गौठान बनाने की योजना के साथ जोड़ा है. हरेली से प्रदेश में गोधन न्याय योजना की शुरूआत करने का अपना विशेष महत्व है. किसानों से गोबर खरीदने की सरकारी दर 2 रुपए प्रति किलो तय की गई है. गौठानों को गोबर खरीदी के लिए सुविधा सम्पन्न बनाया जायेगा. गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी. प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति तथा लैम्प्स के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट को 8 रुपए प्रति किलो की दर से किसानों को बेचा जायेगा. अल्पकालीन कृषि ऋण के अंतर्गत सामग्री घटक में जैविक खाद के रूप में वर्मी कम्पोस्ट शामिल करने का निर्णय लिया जा चुका है. उन्होंने कहा कि मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने हर गांव में गौठान बनाने का संकल्प लिया है. अभी तक 5300 गौठान स्वीकृत हुए हैं, जिसमें से लगभग 2800 गौठानों का निर्माण पूर्ण हो चुका है.

गोधन न्याय योजना से गौ पालन, गौ सुरक्षा, खुली चराई पर रोक, जैविक खाद का उपयोग, इससे जमीन की उर्वरता और पवित्रता में वृद्धि, रसायन मुक्त खाद्यान्न के उत्पादन में तेजी, गोबर संग्रह में तेजी से स्वच्छता का विकास, जैसे अनेक लक्ष्य हासिल होंगे. संग्रहित गोबर से जैविक खाद के अलावा अन्य रसायन मुक्त उपयोगी सामग्रियों के निर्माण से ग्रामीण अंचल की विभिन्न प्रतिभाओं को नवाचार का अवसर मिलेगा. साथ ही पर्यावरण के प्रति दुनिया की बहुत बड़ी चिंता और समस्या का समाधान भी हमारी गोधन न्याय योजना करेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार हमारे वेद-पुराणों ने, महात्मा गांधी, पं. नेहरू, डॉ. अम्बेडकर जैसे मनीषियों ने हमारी विरासत, हमारी संस्कृति को साथ लेकर सर्वधर्म-समभाव के साथ देश को आगे बढ़ाने का सपना देखा था, वह सपना, हमारी ‘गोधन न्याय योजना’ से पूरा होगा.

हमारे किसान भाई, बहन अर्थव्यवस्था के संचालक

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे किसान भाई, बहन तो अर्थव्यवस्था के संचालक हैं, संवाहक हैं, उन्हें बिना वजह ही अर्थव्यवस्था में बाधक कहकर बदनाम किया गया था. हमारे गांव के लोगों में बड़ी उदारता होती है वे जानते हैं कि उन्हें मिले पैसे सन्दूक में बंद करके रखने के लिए नहीं हैं. वे जानते हैं कि उन्हें मिली राशि समाज के अन्य वर्गों तक किस तरह पहुंचती है, इसलिए वे संग्रह नहीं करते बल्कि जरूरी चीजों पर खर्च करते हैं. किसानों, ग्रामीणों के पैसे से गांव के बहुत से काम-धंधे चलते हैं, हमारी इस सोच और विश्वास को देश के बड़े-बड़े विद्वानों, अर्थशास्त्रियों, स्वतंत्र संस्थाओं ने प्रमाणित किया है. जो लोग पहले किसानों पर, आदिवासियों पर, ग्रामीणों पर, हमारे द्वारा किये जा रहे खर्च पर आश्चर्य जताते थे, वे अब इस बात पर आश्चर्य जता रहे हैं कि अर्थव्यवस्था का यह मॉडल पहले क्यों नहीं सूझा था. अब तो यह प्रमाणित हो गया है कि गांवों से निकली राशि से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बचाया और बढ़ाया जा सकता है.

कुपोषण मुक्ति, कोरोना काल में 8 माह निःशुल्क अनाज का इंतजाम, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी और रोजगार की पहल से जरूरतमंदों को मिला न्याय

मुख्यमंत्री ने कहा है कि लॉकडाउन के दौर में जहां देश और दुनिया में बेरोजगारी भयंकर बढ़ी है. तालेबंदी के कारण अर्थव्यवस्था ध्वस्त है वहीं छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019 की तुलना में जीएसटी का संग्रह 22 फीसदी बढ़ा है। 2019 की तुलना में भूमि का पंजीयन 17 प्रतिशत बढ़ा है. वाहनों की खरीदी अलग-अलग महीनों में 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ी है. रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के समय कृषि और संबंधित कार्यों में तेजी बनी रही. लघु वनोपज उपार्जन का मामला हो या मनरेगा के तहत काम देने का, लघु वनोपज संग्रह के लिए पारिश्रमिक देने का मामला हो या मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी भुगतान का, हर मामले में छत्तीसगढ़ आगे रहा है. उन्होंने कहा कि हमारी जनहितकारी और जन न्याय देने वाली योजनाओं के कई आयाम हैं. कुपोषण मुक्ति, मलेरिया नियंत्रण, हाट बाजार में इलाज, कोरोना काल में लगभग 8 माह तक निःशुल्क अनाज देने का इंतजाम, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी तथा उनको रोजगार प्रदाय आदि हर पहल से अलग-अलग तरह से न्याय मिला है. इस तरह यह साबित होता है कि किसानों और गांवों का भला करने से सबका भला होता है.

कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं, बचाव के लिए सावधानी और सतर्कता जरूरी

मुख्यमंत्री ने रेडियोवार्ता में प्रदेशवासियों को कोरोना संकट से आगाह करते हुए कहा कि कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है, इससे बचाव के लिए सावधानी और सतर्कता जरूरी है. कोरोना, कोविड-19 नियंत्रण के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में है, घर से निकलते समय फेस मास्क, फेस कव्हर, फेस शील्ड आदि जो संभव हो, वह साधन अपनाएं. फिजिकल दूरी का पालन करें, भीड़ से बचें, साबुन से हाथ धोने, बिना वजह घर से बाहर नहीं निकलने से बचें और सुरक्षा के हर संभव उपाय करें.