संजीव शर्मा, कोंडागांव. अब बस्तर के लोग भी सब्जियों में इंजेक्शन लगाने लगे हैं. जिसका बढ़ी मात्रा में उपयोग सब्जियों को जल्द या समय से पहले तैयार कर कर रहा है. उत्पादन बढ़ाने के लिए भी बस्तर में अब ऑक्सीटोसिन के इंजेक्शन का उपयोग दिनों-दिन बढ़ रहा है. ऑक्सीटोसिन के टिके से ज्यादा नुकसान इसको खाने वालों को हो रहा है. इससे लोगों की सेहत पर असर पड़ रहा है.

क्या है ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन ?

ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का उपयोग महिलाओं की प्रसव प्रक्रिया के दौरान संकुचन शुरू करने या सुधारने के लिए किया जाता है. इसका उपयोग बच्चे में प्रसव के दौरान रक्तस्त्राव कम करने के लिए भी किया जाता है. जो अब सब्जियों में लगाया जाने लगा है. लोग भिंडी, करलेा, लौकी, कुम्हड़ा, गोभी, तरबजहू, खीरा, बैंगन इसके अलावा अन्य सब्जियों में उनकी अधिक पैदावार लेने अब ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग करने लगे हैं.

किसानों का अपना तर्क

नाम नहीं छापने की शर्त पर एक किसान ने कहा कि क्या करें महानगरों से सब्जियों का जो समय होता है, उस से पहले मार्केट में सब्जियों बिकने आ जाती हैं और लोग इसे ज्यादा कीमत देकर खरीद लेते हैं. हमारी सब्जियां देसी तकनीक के चलते तैयार होने में समय लगाता है. मजबूरी में हमें भी इंजेक्शन का उपयोग करना पड़ता है.

ऐसे करें इंजेक्शन वाली सब्जियों की पहचान

इसमें सुंगध बिल्कुल नहीं होगी जो खीरे लंबे मोटे होते हैं. उनमें इंजेक्शन लग होने की संभावना होती है जो सब्जीयां चमकदार होती हैं. इनके सेवन और खरीदी से बचें.

क्या कहना है लोगों का ?

इंजेक्शन के प्रयोग को लेकर लोगों का कहना है कि ऐसे इंजेक्शन प्रतिबंधित होने चाहिए और ये मात्र अस्पतालों को ही दिए जाने चाहिए. जो कि इंसानों के काम आये ना कि इनका उपयोग सब्जी, फसलों, फलों और पशुओं के लिए दूध बढ़ाने में हो. सरकार को संज्ञान में लेना चाहिए, क्योंकि ये जन स्वास्थ्य से जुड़ा मामला है.

क्या कहते हैं डॉक्टर और अधिकारी ?

सीएमएचओ डॉ. आरके सिंह का कहना है कि ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन अब लोग सब्जियों की पैदावार बढ़ाने और पशुओं को ज्यादा दूध उत्पादन के लिए लगा रहे हैं. जो मानव के लिए बहुत खतरनाक है. दवा दुकानों में कभी ऐसे इंजेक्शन बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं देने चाहिए. जिससे मानव की सेहत से खिलवाड़ न हो.

उद्यान विभाग के अधिकारी लोकेश्वर प्रसाद का कहना है कि बहुत से लोग इंजेक्शन का उपयोग करने लगे हैं. जो सेहत के लिए नुकसानदायक है. इसकी जगह वो देसी खाद, वर्मी कम्पोस्ट और अच्छा पानी डालें तो फसल भी अच्छी रहेगी और सेहत भी. ऐसे फल सब्जियों की कीमत भी उन्हें हाईब्रीड से ज्यादा मिलेगी. हम भी देसी तकनीक से फल और सब्जियों का उत्पादन करने के लिए बहुत से किसानों को प्रेरित कर रहे हैं.