लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नए सिरे से तय किए गए आरक्षण के आधार पर होगा. योगी कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में सरकार ने पंचायतीराज विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इसमें 1995 से अब तक के 5 चुनावों में जो पंचायतें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होती रहीं वहां ओबीसी को आरक्षण मिलेगा. इसी तरह अब तक जो पंचायत ओबीसी के लिए आरक्षित होती रहीं, वह अब अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगी.
योगी कैबिनेट के नए प्रस्ताव को मंजूरी साल 2015 के पंचायत चुनाव में तत्कालीन समाजवादी सरकार द्वारा लाए गए नियमावली को निरस्त करने के बाद दी गई है. इसके पहले 2015 में सपा सरकार ने यूपी पंचायतीराज नियमावली 1994 में संशोधन कर ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्यों के पदों के लिए पूर्व में हुए आरक्षण के प्रावधान को शून्य कर दिया था.
कैबिनेट से मंजूरी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी पंचायत चुनाव में प्रधान, बीडीसी व ग्राम पंचायत सदस्यों के आरक्षण से संबंधित नियमों में परिवर्तन कर इनको नए सिरे से लागू करने का आदेश जारी किया है. अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज विभाग मनोज सिंह ने इस संबंध में आदेश जारी किया है. इसके तहत अब सभी 75 जिलों में एक साथ पंचायत के वार्डों के आरक्षण की नीति लागू होगी.