रोहित कश्यप, मुंगेली. राज्य सरकार की धान खरीदी में सख्ती की वजह से टोकन कटाने व अपनी बारी का इंतजार करने के अलावा रकबे में कटौती जैसे कड़े नियमों से किसान परेशान हैं. अब किसानों के मजबुरियों का फायदा उठाकर मुंगेली जिले के उपार्जन केंद्रों के कर्मचारियों के द्वारा 1 से 2 किलो अधिक धान लिया जा रहा है.

वहीं एक तरफ कई किसान सप्ताह भर से समितियों का चक्कर काटने को मजबूर है, फिर भी धान नहीं बेच पा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर जो किसान उपार्जन केंद्र के प्रभारियों के जेब गरम कर दे रहे हैं उन किसानों का टोकन कटने से लेकर धान खरीदी व धान की कीमत की अदायगी तक का काम आसानी से हो जा रहा है. लेकिन हद की बात तो यह है कि कुछ समिति प्रभारी किसानों पर इतना मेहरबान हो जा रहे हैं कि घर पहुंच बारदाना भी उपलब्ध करा दे रहे हैं.

ये ऐसे किसान है जो ओहदेदार है, लेकिन इसमें शर्त ये रहता है कि किसान घर से प्रत्येक बोरी में किलो भर से अधिक धान देगा. जिसके चलते किसानों से 40 के बजाय 41 और 42 किलो धान प्रत्येक बोरी में अतिरिक्त लिया जाता है और आंख मूंदे उनके धान को खरीदी की जाती है.

कई बार तो किसानों के लाये धान को बगैर तौले ही खरीद लिया जाता है. जिसका ताजा उदाहरण मुंगेली के धान उपार्जन केंद्र खम्हरिया में देखने को मिला. जहां प्रत्येक तौलाई और प्रत्येक बोरी में 40 के बजाय 1 से 2 किलो अतिरिक्त धान लिया जा रहा है. इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया में खूब वायरल किया जा रहा है.

बताया जा रहा है कि उपार्जन केंद्र के कर्मचारी का राइस मिलर्स से सांठगांठ होने व संबंधित विभाग के कुछ निचले स्तर के अधिकारियों से मिलीभगत होने की वजह से यह सब खेल धड़ल्ले से चल रहा है. जिसमें ट्रकों में ओव्हरलोड धान ले जाने का खेल भी बदस्तूर जारी है जिसको बढ़ावा देने के लिए संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को माना जायेगा, क्योंकि इन्हीं अधिकारियों की खुली छूट की वजह से यह गोरखधंधा चल रहा है, क्योंकि अधिकारियों की कार्यवाही इस दिशा में नगण्य है. ऐसे में इन अधिकारियों की मौन स्वीकृति से इंकार नहीं किया जा सकता.

कलेक्टर के निर्देशन में गठित टीम अवैध धान पकड़ने में जितना रुचि दिखाती है, उतना ही रुचि ऐसे मामले में भी दिखाए तो न सिर्फ इस तरह की गड़बड़ी को रोका जा सकता है, बल्कि दोषियों पर कार्यवाही भी होगी. मगर धान खरीदी केंद्रों में दौरे का राग अलापने वाले इन अधिकारियों को शिकायत मिलने के बाद भी ऐसे मामलों पर कार्यवाही करने के लिए फुर्सत नहीं है.

इन तमाम मुद्दों को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने खाद्य विभाग के जिला अधिकारी, एआरसीएस से लेकर विपणन विभाग के अधिकारियों से बातचीत की मगर किसी भी अधिकारी ने इस दिशा में कार्यवाही करने या गड़बड़ी को रोकने के लिए दिलचस्पी नहीं दिखाई. इसके विपरीत विपणन अधिकारी को किसानों की शिकायत का इंतजार है, जबकि सच तो यह है कि किसान इसलिए शिकायत नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि शिकायत करने वाले किसानों के साथ संबंधित उपार्जन केंद्र के कर्मचारियों के द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है.