नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी शुरू होने से पहले इसको लेकर राज्य की राजनीति गर्म है, वहीं इस मामले पर बुधवार को भी राज्यसभा और लोकसभा में माहौल गर्म रहा. राज्यसभा में छाया वर्मा, मोतीलाल वोरा और पीएल पुनिया ने इस मुद्दे को उठाया, वहीं दूसरी ओर लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया. भाजपा की ओर से भी सांसद संतोष पांडेय ने उठाया.
राज्यसभा में सांसद छाया वर्मा ने राज्यसभा में चावल खरीदी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ का चावल केंद्रीय पुल से नहीं खरीदा जा रहा है. इसलिए मैं सदन के जरिए सरकार से आग्रह करना चाहती हूं कि नियमों को शिथिल कर जिस तरह से 2017-18 में जब छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार थी, केंद्रीय पुल में चावल खरीदा गया. उसी तरह नियमों में शिथिलता लाते हुए वहां का चावल खरीदे.
श्रीमती वर्मा ने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री सबसे केंद्रीय मंत्रियों से मिल चुके हैं, खाद्य मंत्री से मिल चुके हैं, मैं भी स्वयं खाद्य मंत्री से मिल चुकी हैं. लेकिन वो कहते हैं कि आप धान 2500 रुपए समर्थन मूल्य में खरीदते हैं. इसलिए हम आपका चावल नहीं खरीदते. केंद्र सरकार मध्यप्रदेश से उत्तर प्रदेश से और सभी राज्यों को खरीद रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ से नहीं. यह किसानों के साथ छल है. यह निंदनीय है,
मोतीलाल वोरा ने भी केंद्रीय पुल में चावल खरीदे जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस बार 85 लाख मीट्रिक टन धान का उपार्जन होगा. हमने केंद्र सरकार से इस बात का अनुरोध किया है कि वह छत्तीसगढ़ से केंद्रीय पुल में 32 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदे, लेकिन केंद्र सरकार का रवैया है कि हम मिनिमम सपोर्ट प्राइज पर ही खरीदेंगे. हमने अपने घोषणापत्र में 2500 रुपए प्रति क्विंटल धान की खरीदी करेंगे, और हम एक दिसंबर से धान की खरीदी करने वाले हैं, लेकिन केंद्र सरकार इस बात पर सहमत नहीं है. उन्होंने सदन के माध्यम से केंद्र सरकार पर 32 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदने बाबत दबाव डालने की बात कही, जिससे छत्तीसगढ़ के किसानों को नुकसान नहीं हो.
पीएल पुनिया ने कहा कि भारत सरकार एफसीआई और राज्य सरकार धान खरीदती है. 2014 में मई में एनडीए की सरकार बनी और उसके एक महीने बाद नियम बनाया कि जो राज्य सरकार समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर धान खरीदेंगी, उनका धान हम नहीं खरीदेंगे. जो राज्य सरकारों की सरप्लस चावल भी नहीं खरीदेंगे. इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में 2017-18 में ज्यादा बोनस देने के बावजूद छूट दी गई. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने संकल्प किया है, किसानों की आमदनी को दोगुना करना है. इसे पूरा करने में राज्य सरकार का महत्वपूर्ण कदम है. उसका सहयोग करना चाहिए. आज किसान संकट में है, राज्य सरकार संकट में है, इसके ऊपर सरकार की प्रतिक्रिया चाहिए. छत्तीसगढ़ के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए.
लोकसभा में धान-चावल खरीदी का मुद्दा कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने उठाया. वहीं राजनांदगांव सांसद संतोष पांडेय ने लोकसभा में छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को धान खरीदी के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा करते हुए पूर्व की भांति 15 नवंबर की बजाए एक दिसंबर से धान खरीदी करने पर सवाल खड़ा किया.