मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण और औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में तेजी से सुधार लागू किए हैं. प्रदेश में धान खरीद, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भुगतान और समूह आधारित उद्यमिता से जहां गांवों में नकदी प्रवाह बढ़ा है, वहीं औद्योगिक पार्कों, लॉजिस्टिक केंद्रों और विनिर्माण क्लस्टरों के विकास ने नगरीय क्षेत्रों से लगे ग्रामीण अंचलों में गैर-कृषि रोजगार के अवसरों को नया आयाम दिया है. इन प्रयासों के परिणामस्वरूप राज्य में एकीकृत कृषि और औद्योगिक अर्थव्यवस्था आकार ले रही है, जो अन्य राज्यों के लिए भी रोल मॉडल साबित हो रही है.

योगी सरकार ने इस वर्ष धान खरीद व्यवस्था को पहले की तुलना में अधिक व्यापक बनाया है. किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए खरीद केंद्रों की संख्या 4,227 से बढ़ाकर 5,000 करने का लक्ष्य रखा गया है. यह विस्तार दूरस्थ गांवों और सीमांत किसानों तक सरकारी खरीद की सुनिश्चित पहुंच प्रदान करेगा. अब तक 1.51 लाख से अधिक किसानों से 9.02 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है, जिससे किसानों को स्थिर आय का मजबूत आधार मिला है। साधारण धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,369 रुपये प्रति क्विंटल तथा ग्रेड ए धान का मूल्य 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 69 रुपये अधिक है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा 1,984 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जा चुकी है. समय पर हुए इस भुगतान से ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी प्रवाह बढ़ा है. आर्थिक विश्लेषण बताते हैं कि किसानों को हुए इस प्रत्यक्ष भुगतान से ग्रामीण बाजारों में आर्थिक सक्रियता 8 से 12 प्रतिशत तक बढ़ सकती है. स्वयं सहायता समूहों ने भी ग्रामीण आय को नई दिशा दी है. बीसी सखी और कृषि सखी जैसे मॉडलों ने लाखों महिलाओं को रोजगार और उद्यमिता से जोड़ा है। स्वयं सहायता समूहों की वार्षिक आय 2017 में लगभग 4,000 करोड़ रुपये थी, जो 2025 में बढ़कर 18,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार बढ़ा है और युवाओं के पलायन में कमी आई है.

ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश का दायरा बढ़ा

राज्य सरकार की औद्योगिक निवेश और रोजगार प्रोत्साहन नीति 2022 ने निवेश और रोजगार सृजन की नई संभावनाएं खोली हैं. बुंदेलखंड और पूर्वांचल जैसे क्षेत्रों में स्थायी पूंजी निवेश पर 25 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी (अधिकतम 45 करोड़ रुपये तक) दी जा रही है. इस नीति से औद्योगिक पार्कों और लॉजिस्टिक केंद्रों के विकास को नई गति मिली है. अनुमान है कि औद्योगिक विस्तार के कारण गैर-कृषि रोजगार में 22 से 27 प्रतिशत तक वृद्धि संभव है. खाद्य प्रसंस्करण और कृषि मूल्य श्रृंखला से संबंधित इकाइयों को भी गैर-शहरी क्षेत्रों में स्थापित करने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इससे ग्रामीण अंचलों वाले जिलों में उद्योग स्थापित करने में निवेशकों की रुचि बढ़ी है.

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उत्तर प्रदेश के विनिर्माण क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की जा रही है. आगरा में विकसित किए जा रहे एकीकृत विनिर्माण क्लस्टर से 40,000 से ज्यादा रोजगार सृजित होने और लगभग 3,400 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है. वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, औद्योगिक विकास के मामले में उत्तर प्रदेश देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है और राज्य में रोजगार में 5.92 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. ये सभी तथ्य स्पष्ट करते हैं कि धान खरीद से लेकर औद्योगिक निवेश तक योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों ने ग्रामीण और औद्योगिक अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार दी है. इसके परिणामस्वरूप, प्रदेश में विकास का एक संतुलित और प्रभावी मॉडल स्थापित हुआ है.