मुंबई. कंगाली के कगार पर पहुंच चुके पाकिस्तान सरकार ने शनिवार को ऋण के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से चल रही चर्चा के बीच बड़ा कदम उठाते हुए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर और फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के चेयरमैन को पद से हटाने का निर्णय लिया है. पाकिस्तान सरकार के इस कदम से न केवल प्रभावित अधिकारी पर वित्त से जुड़े लोग भी आश्चर्य में हैं.

पाकिस्तान सरकार ने यह कदम प्रधानमंत्री इमरान खान के कैबिनेट में बदलाव के लेकर शुक्रवार को दिए संकेत के बाद उठाया है. सरकार के फैसले की पुष्टि करते हुए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर तारिक बाजवा ने बताया कि वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अधिकारियों से चर्चा के लिए इस्लामाबाद में थे, इस दौरान उन्हें सरकार ने इस्तीफा देने के लिए कहा. सरकार के इस कदम पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री के वित्तीय सलाहकार हाफिज शेख ने कहा कि बाजार हमारे काम को देखते हुए निर्णय लेगा. उन्हें (व्यापारियों) इस कार्रवाई के पीछे पूरे कार्रवाई और नीतियो को देखना होगा. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस कार्रवाई के बाद आईएमएफ से चल रही चर्चा पर क्या असर पड़ेगा.

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की तरह फेडरल बोर्ड  ऑफ रेवेन्यू के चेरयमैन जाहनजेब खान भी सरकार के इस कदम से हैरान हैं. खान को इस बात की जानकारी तब मिली जब वे बैठक के लिए तैयारी कर रहे थे. हालांकि, दोनों वरिष्ठ अधिकारियों की औपचारिक विदाई अभी नहीं हुई है. एक तरफ जहां बाजवा के पद से इस्तीफा देने के बाद प्रक्रिया पूर्ण होगी, वहीं खान को पद से हटाने के लिए नोटिफिकेशन जारी करना पड़ेगा, लेकिन इस कदम को महज औपचारिकता माना जा रहा है.