मुंबई। दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग का एक अनूठा उदाहरण तब सामने आया जब मुंबई के एक आई सर्जन ने इस महीने की शुरुआत में कोलंबो के एक आई हॉस्पिटल में लाहौर के एक अंधे व्यक्ति का ऑपरेशन किया.
यह असाधारण परिस्थितियाँ तब पैदा हुईं, जब पाकिस्तानी मरीज को चार महीने तक फॉलो-अप करने के बावजूद भारतीय मेडिकल वीज़ा नहीं मिल पाया, जबकि उसकी और मुंबई के आई सर्जन डॉ. कुरेश मस्कती की ओर से भी फॉलो-अप किया गया था.
डॉ. मस्कती ने कहा, “चूंकि मुझे एक सम्मेलन के लिए कोलंबो जाना था, इसलिए मैंने श्रीलंकाई मेडिकल काउंसिल से मरीज का ऑपरेशन करने के लिए लाइसेंस मांगा और उसने सहमति दे दी.” स्थानीय नेत्र सर्जन डॉ. कुसुम रथनायके की मदद से उन्होंने 13 सितंबर को कोलंबो में ऑपरेशन किया.
24 सितंबर को घर लौटे मरीज ने बताया कि वह चार साल में पहली बार अपनी सात साल की बेटी सहित अपने परिवार को देख पाया. 30 वर्षीय मरीज ने कहा, “अटारी साफ करते समय क्षारीय घोल की एक बोतल टूट गई और उसका पानी मेरे सिर और चेहरे पर गिर गया.” इसमें उनकी दाहिनी आँख पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी, और विशेषज्ञों ने उनकी बाईं आँख पर दो बार कॉर्निया प्रत्यारोपण किया, लेकिन दोनों प्रयास विफल रहे.
डॉ. मस्कती ने कहा, “चूंकि उनकी एकमात्र उम्मीद कृत्रिम कॉर्निया थी, इसलिए उनके स्थानीय डॉक्टर ने मुझसे संपर्क किया.” वे एक सम्मेलन के लिए पाकिस्तान गए थे, तब उन्होंने मरीज से मुलाकात की और महसूस किया कि कृत्रिम कॉर्निया काम करेगा. ऑपरेशन के 48 घंटों के भीतर मरीज की आंशिक दृष्टि बहाल हो गई.