X Fact Check On Shehbaz Sharif: पाकिस्तान का टॉप लीडरशिप कश्मीर पर आए दिन फेक न्यूज फैलाने की नापाक हरकत करता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी 27 अक्तूबर को भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर पर झूठ फैलाने की कोशिश की। हालांकि पाक पीएम शहबाज शरीफ का यह दांव उलटा पड़ गया। दरअसल शहबाज 27 अक्टूबर 1947 की कहानी को भ्रामक तरीके से पेशकर जम्मू-कश्मीर पर सहानुभूति बटोरना चाह रहे थे। लेकिन उनकी ये कोशिश औंधे मुंह गिरी। कश्मीर पर पाक पीएम के दावे का खुद X ने ही फैक्ट चेक कर दिया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X ने शहबाज के दावे को साफ-साफ भ्रामक न्यूज (Misleading news) बताया। इसके बाद पाकिस्तान और पीएम शहबाज शरीफ इंटरनेशनल फजीहत हो गई।
दरअसल शहबाज ने कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए भारत पर आक्रमण का आरोप लगाया और दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में ‘मानवाधिकार उल्लंघन’ हो रहे हैं। उन्होंने लिखा कि- 78 साल पहले 27 अक्तूबर को ही भारत सेना श्रीनगर पहुंची थी और यहां पर कब्जा कर लिया था। पाकिस्तानी हर साल 27 अक्तूबर को ऐसा ही फेक न्यूज फैलाता है।
इस बार शहबाज शरीफ ने इस बार भी ऐसा किया। शरीफ ने अपने आधिकारिक X हैंडल से एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए भारत पर आक्रमण का आरोप लगाया और दावा किया कि जम्मू-कश्मीर में ‘मानवाधिकार उल्लंघन’ हो रहे हैं।

लोगों ने इस पर एक्स से फैक्ट चेक की मांग की। X की कम्युनिटी नोट्स ने इसे झूठा करार देते हुए तुरंत फैक्ट चेक जारी कर दिया। इससे शरीफ की सारी साजिश धरी रह गई। शरीफ के पोस्ट पर एक्स में प्रतिक्रिया देते हुए कहा गया है, “ये भ्रामक खबर है। महाराजा हरि सिंह 26 अक्तूबर 1947 को भारत में शामिल होने के लिए राजी हुए थे। इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भारत ने क्षेत्र की रक्षा के लिए 27 अक्टूबर 1947 को श्रीनगर में सेना भेजी थी।
आकाशवाणी के आर्काइव से उस ऐतिहासिक पत्र को दिखाया गया
कम्युनिटी नोट्स में भारत की सरकारी रेडियो सर्विस आकाशवाणी के आर्काइव से उस ऐतिहासिक पत्र को दिखाया गया है, जिसमें महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का विलय भारत के साथ करने पर सहमति जताई है। X ने सूचनाओं की नई फैक्ट-चेकिंग पॉलिसी का नतीजा है, जो मई 2025 से लागू हुई। तब से कई पाकिस्तानी नेताओं के झूठे दावों पर नोट्स लगे हैं। महाराजा हरि सिंह के विलय पत्र के अलावा एक्स ने कई दूसरे एतिहासिक दस्तावेज के लिंक भी शेयर किए हैं जो साबित करता है कि महाराजा हरि सिंह द्वारा जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में करने के बाद ही भारत ने कश्मीरियों की सुरक्षा के लिए अपनी सेनाएं वहां भेजीं।
क्या हुआ था 27 अक्टूबर 1947 को
1947 में भारत के विभाजन के समय जम्मू-कश्मीर एक रियासत थी। इसे स्वतंत्र रहने या भारत/पाकिस्तान में शामिल होने का विकल्प दिया गया था। महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर के शासक थे। वे शुरू में स्वतंत्र रहना चाहते थे। हालांकि 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान समर्थित कबायली लश्कर (पश्तून जनजातियों और पाकिस्तानी सेना के घुसपैठिए) ने मुजफ्फराबाद, डोमेल होते हुए श्रीनगर की ओर आक्रमण शुरू कर दिया। पाकिस्तान कबायली हमलावरों की आड़ में जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करना चाहता था। इन लड़ाकों ने 26 अक्टूबर तक उरी और बारामूला पर कब्जा कर लिया और श्रीनगर महज 50 किमी दूर था। महाराजा हरि सिंह की सेना पाकिस्तानियों से लड़ रही थी, लेकिन हथियारों और संख्या में कमजोर थी।
बारामूला में लूटपाट, हत्याएं और महिलाओं पर अत्याचार की खबरें आने लगीं। स्थिति अनियंत्रित हो गई। महाराजा हरि सिंह ने वी.पी. मेनन (भारत के गृह मंत्रालय के सचिव) से मदद मांगी। इस पर भारत ने कहा कि सेना तभी भेजी जाएगी जब जम्मू-कश्मीर रियासत का कानूनी रूप से भारत में शामिल हो। 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरि सिंह ने विलय पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किए, जिससे जम्मू-कश्मीर कानूनी रूप से भारत का हिस्सा बना।
27 अक्टूबर सुबह पहली भारतीय सेना की टुकड़ी (1 सिख रेजिमेंट) श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरी। ब्रिगेडियर जे.सी. कटोच के नेतृत्व में सैनिकों ने तुरंत बारामूला की ओर मोर्चा संभाला और घुसपैठियों को रोका, और उन्हें वापस खदेड़ दिया। यह भारत की पहली हवाई सैन्य कार्रवाई थी।
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