कराची। विदेशी मुद्रा भंडार की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान पर दूसरी आफत मंडरा रही है. मंगलवार को जारी केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान का सरकारी कर्ज 1.5 ट्रिलियन रुपए बढ़कर 70.4 ट्रिलियन रुपए तक पहुंच गया है.

सरकारी कर्ज में यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से खर्च की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी वित्तीय जरूरतों को सरकार की आवश्यकता की वजह से है. इस साल अगस्त में केंद्र सरकार के कर्ज में साल-दर-साल 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इन उधारों में पिछले महीने की तुलना में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. जुलाई में ऋण 69.6 ट्रिलियन रुपये पर आ गया, जो 30 जून तक 68.9 ट्रिलियन रुपए था.

सार्वजनिक ऋण में मुख्य रूप से घरेलू ऋण के कारण वृद्धि हुई, जो जुलाई-अगस्त वित्त वर्ष 25 में 2.5 प्रतिशत बढ़कर 48.3 ट्रिलियन रुपए हो गया. अगस्त में कर्ज में पिछले साल की तुलना में 21.5 प्रतिशत और पिछले महीने की तुलना में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जुलाई-अगस्त वित्त वर्ष 25 में बाह्य कर्ज 1.2 प्रतिशत बढ़कर 22 ट्रिलियन रुपये हो गया, जो अगस्त में महीने-दर-महीने 0.5 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 8.9 प्रतिशत कम हुआ.

वित्त विशेषज्ञ बताते हैं कि कुल कर्ज में वृद्धि का मुख्य कारण उच्च ऋण सेवा दायित्वों द्वारा संचालित बजटीय आवश्यकताओं को वित्तपोषित करने की आवश्यकता है. अच्छी बात यह है कि देश के ऋण-से-जीडीपी अनुपात में सुधार हुआ है, जो नाममात्र जीडीपी में 25.2 प्रतिशत की वृद्धि और विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन के कारण अगस्त 2023 में 76.2 प्रतिशत से लगभग 10 आधार अंक कम होकर 66.5 प्रतिशत हो गया.

रुपये के मूल्य में वृद्धि के कारण बाह्य ऋण-जीडीपी अनुपात में गिरावट आई है, जो अगस्त 2023 में 305.61 डॉलर प्रति डॉलर से घटकर चालू वर्ष के अगस्त में 278.57 हो गया है.

कुछ थिंक टैंक के अनुसार, पाकिस्तान का ऋण असहनीय हो गया है, जिसे “भयंकर आग” के रूप में वर्णित किया गया है. वित्त वर्ष 2023-24 में देश का ऋण और देनदारियाँ लगभग 85 ट्रिलियन रुपए के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच गईं. अपनी बढ़ती वित्तीय ज़रूरतों के कारण, पाकिस्तान द्विपक्षीय और बहुपक्षीय ऋणों पर बहुत अधिक निर्भर है.

सितंबर के अंत में पाकिस्तान को 7 बिलियन डॉलर के बेलआउट की पहली किश्त के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 1.03 बिलियन डॉलर मिले थे. पिछले हफ़्ते स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान (SBP) के गवर्नर जमील अहमद ने कहा कि सरकार ने पहली बार अपनी प्रतिभूतियों की पुनर्खरीद शुरू की है. इससे पता चलता है कि सरकार के पास पर्याप्त धन है, और वह बैंकों से पैसे उधार लिए बिना आसानी से अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा कर सकती है.