इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने आजादी के 74वें साल में जाकर राष्ट्रीय सुरक्षा नीति बनाई है. इसे प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को जारी किया. इसके 110 पन्नों में से महज 48 पन्नों को ही सार्वजनिक ही किया गया है. इसमें भारत के साथ अगले सौ साल तक शांति और सुकून के साथ रहने की बात कही गई है. वहीं दूसरी ओर भारत में सत्ताधारी भाजपा की नीतियों को आगे बढ़ने के लिए रुकावट बताया है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस दस्तावेज का अनावरण किया है, जिसमें कहा गया है कि देश-विदेश में शांति नीति के तहत पाकिस्तान, भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है. साथ ही हिन्दुत्व आधारित नीतियों, हथियार जमा करने की होड़ और लंबित विवादों के एकतरफा हल थोपने की एकपक्षीय कोशिशों को इसमें प्रमुख बाधा बताया है.
राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के अध्याय सात में ‘बदलती दुनिया में विदेश नीति’ शीर्षक के तहत भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों, कश्मीर मुद्दे और अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों की बात की गई है. इस दस्तावेज में ये भी कहा गया है कि जम्मू कश्मीर मुद्दे का न्यायसंगत और शांतिपूर्ण समाधान हमारे द्विपक्षीय संबंधों के केंद्र बिंदु में रहेगा.
भारत में हथियारों का बढ़ता जखीरा, अत्याधुनिक तकनीकों तक उसकी पहुंच और परमाणु निरस्त्रीकरण से छूट, पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय हैं. दस्तावेज के अनुसार लंबित मामलों पर एकतरफा नीतिगत कार्रवाई का भारत का प्रयास एकपक्षीय हल थोपने का प्रयास है जिनका क्षेत्रीय स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है. पाकिस्तान की पहली सुरक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि अपनी चिंताओं के बावजूद पाकिस्तान सभी लंबित मुद्दों का हल बातचीत के जरिए निकालने में यकीन करता है.
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हालांकि, भारत के हालिया कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण अवरोधक के रूप में काम कर रहे हैं. दस्तावेज में कहा गया है कि पाकिस्तान परस्पर सम्मान, सम्प्रभु समानता और मुद्दे का हल निकालने के समेकित प्रयास के आधार पर पड़ोसियों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उसका मानना है कि साझा आर्थिक अवसर पाकिस्तान और क्षेत्र की समृद्धि के लिए नींव का पत्थर की तरह हैं.
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