दिल्ली. पाकिस्तान की जमीन पर आतंकियों पर नकेल कसने के लिए भारत हर कोशिश कर रहा है। इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान को अब डर सता रहा है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि भारत की पैरवी पर एफएटीएफ द्वारा पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है, उनका अनुमान है कि यदि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना रहा तो उसे सालाना 10 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।

पेरिस के एफएटीएफ ने पिछले साल जून में पाकिस्तान को निगरानी वाले देशों की ग्रे सूची में डाला था। इस सूची में वे देश शामिल हैं जिनके कानून मनी लांड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए कमजोर माने जाते हैं। एफएटीएफ आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लांड्रिंग पर लगाम लगाने लिए काम कर रहा है। उसने पाकिस्तान से देश में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के परिचालन का नए सिरे से आकलन करने को कहा था।

पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद से पाकिस्तान पर जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई करने का भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव है। कुरैशी ने गवर्नर हाउस में संवाददाताओं से कहा कि विदेश विभाग यह आकलन कर रहा है कि यदि पाकिस्तान को एफएटीएफ की खाली सूची में डाला जाता है तो उसे सालाना कितना नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि भारत इसके लिए लॉबिंग कर रहा है।

हाल ही में एफएटीएफ के विशेषज्ञों को एक दल ने पाकिस्तान को दौरा कर समीक्षा की कि ग्रे सूची से बाहर आने के लिए पाकिस्तान ने वित्तीय अपराधों के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप कोई ठोस कार्रवाई की भी है कि नहीं। इसमें उसने पाया कि प्रतिबंधित संगठनों पर लगाम लगाने पर जमीनी स्तर पर ज्यादा कार्रवाई नहीं की गई है।