सीमाओं के उस पार पनपी एक प्रेम कहानी, जो आतंक और तनाव की लकीरों के बावजूद भी जिंदा है, अब दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) की दहलीज तक पहुंच चुकी है। अदालत ने केंद्र सरकार को पाकिस्तानी महिला की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम मौका देते हुए तीन सप्ताह का समय दिया है। यह महिला अपने भारतीय पति के पास भारत आने की अनुमति पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है। मामले की अगली सुनवाई अब 1 दिसंबर को होगी।
आतंक की छांव में टूटा वैवाहिक सपना
साल 2025 की शुरुआत में सब कुछ सपनों जैसा परफेक्ट लग रहा था। एक पाकिस्तानी महिला, अप्रैल में वैध विज़िटर वीज़ा लेकर अटारी-वाघा बॉर्डर से पैदल भारत आई थी। उसका मकसद था दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलना, और अपने भारतीय पति के साथ एक नया जीवन शुरू करना। लेकिन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई, ने इस प्रेम कहानी को भी झुलसा दिया। हमले के तीन दिन बाद, यानी 25 अप्रैल को, केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा मेडिकल, लॉन्ग टर्म और डिप्लोमैटिक को छोड़कर तत्काल रद्द कर दिए। सिर्फ तीन दिन बाद, 28 अप्रैल को, महिला को भारत छोड़ने का ‘एग्जिट परमिट’ थमा दिया गया। इसके साथ ही, पति-पत्नी की साझा दुनिया बिखर गई एक सीमारेखा ने प्रेम को फिर से अलग कर दिया।
वर्चुअल निकाह से लेकर कोर्ट की दहलीज तक
यह कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं, लेकिन यह हकीकत है. दो परिवारों की पीढ़ियों पुरानी दोस्ती और उसी से जन्मी एक सरहदी मोहब्बत की कहानी। भारत और पाकिस्तान में बसे ये दोनों परिवार वर्षों से एक-दूसरे के घर आते-जाते रहे। बच्चों के बड़े होने पर दोनों परिवारों ने रिश्ते को औपचारिक रूप देने का फैसला किया। पहले 28 जुलाई 2024 को वर्चुअल निकाह हुआ, और उसके बाद 14 नवंबर 2024 को पाकिस्तान में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी संपन्न हुई।
महिला का पासपोर्ट वर्ष 2027 तक वैध था और उसका भारतीय विज़िटर वीज़ा अगस्त 2025 तक, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा सर्विस निलंबित कर दी, तो उसका सपना यहीं टूट गया। उसने ऑनलाइन एप्लिकेशन और लॉन्ग टर्म वीज़ा (LTV) के लिए आवेदन किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। आख़िरकार, निराशा में उसने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, और एग्जिट ऑर्डर को रद्द करने की मांग की ताकि वह अपने पति के साथ भारत में रह सके और अपने विवाहिक अधिकारों की रक्षा कर सके।
कोर्ट का सख्त तेवर
जस्टिस सचिन दत्ता की एकल पीठ ने इस मामले में 6 अक्टूबर को केंद्र सरकार और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया था। अदालत ने सवाल उठाया कि जब अन्य पाकिस्तानी नागरिकों की लॉन्ग टर्म वीज़ा (LTV) की अर्जियां मंजूर की गईं, तो इस याचिकाकर्ता की अर्जी अब तक लंबित क्यों है? हालांकि, केंद्र की ओर से अब तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया। अदालत ने केंद्र को तीन सप्ताह की अतिरिक्त मोहलत देते हुए इसे “आखिरी मौका” करार दिया। याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट संजीव सागर सहित चार वकीलों की टीम ने अदालत में पैरवी की।
Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m
देश-विदेश की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक
लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक

