पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने नशा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमारे साथ सीधे तौर पर नहीं लड़ सकता, इसलिए उसने नशों के जरिए हमें नुकसान पहुंचाने का तरीका ढूंढ लिया है। हमारे युवाओं को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यहां विद्रोह का माहौल बनाया जा सके। यह बात उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया किशोर रहाटकर भी मौजूद थीं।


पाकिस्तान से छोटे ड्रोन भेजे जा रहे हैं


राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि पहले पाकिस्तान से बड़े ड्रोन आते थे, जिन्हें गिरा दिया जाता था। लेकिन अब छोटे ड्रोन भेजे जा रहे हैं। हालांकि, एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाए जा रहे हैं। पिछले बार गृह मंत्री ने आठ एंटी-ड्रोन सिस्टम दिए थे, अब इनकी संख्या बढ़ाकर 26 कर दी गई है। इसके बावजूद 100% नशों का खात्मा नहीं हो पाया है।


पंजाब की कानून व्यवस्था की तारीफ


राज्यपाल ने पंजाब की कानून व्यवस्था की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पंजाब में नशे के मामलों में 80 से 85% सजा दी जाती है, जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा केवल 23 से 28% है। पंजाब में पकड़े जा रहे नशे की मात्रा भी ज्यादा है।


महिलाओं को नशों के खिलाफ अभियान में शामिल करने की योजना


राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग और पंजाब यूनिवर्सिटी ने पंजाब में नशों के खिलाफ एक अभियान शुरू किया है। नशों का सबसे ज्यादा नुकसान महिलाओं को होता है। महिलाएं नशों के खिलाफ ज्यादा प्रभावी तरीके से काम कर सकती हैं, और उनके प्रयासों को सफलता मिलने की संभावना अधिक है।


नशों से सबसे ज्यादा महिलाएं प्रभावित


राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया किशोर रहाटकर ने कहा कि पंजाब वीरों और संतों की धरती है। यहां के युवाओं का भविष्य नशों के कारण खराब हो रहा है। परिवारों की महिलाएं इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं, जो मानसिक, आर्थिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करती हैं।


आठ जिलों में नशामुक्ति कार्यक्रम


पंजाब यूनिवर्सिटी के सहयोग से राज्य में नशों के खिलाफ जागरूकता अभियान शुरू किया जा रहा है। पहले चरण में सीमा से सटे आठ जिलों में इसकी शुरुआत की गई है। इसके बाद अन्य जिलों में भी यह कार्यक्रम चलाए जाएंगे। समाज के सभी वर्गों के साथ सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। नशे का शिकार हो चुके युवाओं के लिए अलग कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे और उन्हें नशे से बचाने के लिए पुनर्वास योजनाएं भी चलाई जाएंगी।