Pali Lok Sabha Election 2024 : राजस्थान की पाली लोकसभा सीट (Pali Lok Sabha Seat) को भाजपा (BJP) का गढ़ कहा जाता है. हालांकि, यहां की जनता कई बार BJP को भी झटका भी दे चुकी है. 1999 और 2004 के चुनाव में यहां से भाजपा के पुष्प जैन लगातार जीते, लेकिन 2009 में कांग्रेस के बदरी राम जाखड़ सांसद बने. हालांकि, फिर 2014 और 2019 में जनता ने BJP के पीपी चौधरी को चुन लिया.

इस बार भी भाजपा ने पीपी चौधरी को तीसरी बार लगातार अपना प्रत्याशी बनाया है. वहीं, कांग्रेस ने बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल को चुनाव मैदान में उतारा है.

महाराणा प्रताप की जन्मस्थली पाली लोकसभा सीट की राजनीति समझने के लिए पहले यहां का इतिहास, भूगोल समझ लेना जरूरी है. अरावली की पहाड़ियों से सटे पाली जिले की सीमाएं उत्तर में नागौर तो पश्चिम दिशा में जालौर से मिलती हैं. मुगलों के आने तक यहां पालीवाल ब्राह्मणों का बाहुल्य था. बाद में यह शहर तीन बार उजड़ा और बसा.

पाली में प्रागैतिहासिक काल में आदिमानवों के बसावट का भी प्रमाण मिला है. माना जाता है कि पाली एक समय विशाल पश्चिमी समुद्र से निकला था. वैदिक युग में यहां महर्षि जाबाली वेदों की व्याख्या और अवगाहन के लिए रहते थे. पांडव ने यहां अज्ञातवास के कुछ दिन गुजारे थे. ऐतिहासिक प्रसंगों के मुताबिक 120 ईस्वी में यहां कुषाण वंस के राजा कनिष्क ने रोहट और जैतारण क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की थी. सातवीं शताब्दी के अंत तक चालुक्य राजा हर्षवर्धन का शासन था. 10वीं से 15वीं शताब्दी तक पाली की सीमाएं मेवाड़, गोडवाड़ और मारवाड़ तक थीं. पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद इस क्षेत्र में राजपूत सत्ता छिन्न-भिन्न हो गई.

कहा जाता है कि 16वीं और 17वीं शताब्दी में यहां कई युद्ध लड़े गए. शेरशाह सूरी राजपूत शासकों की ओर से जैतारण के पास गिरि की लड़ाई में हारा. फिर अकबर की सेना का गोडवाड़ क्षेत्र में महाराणा प्रताप के साथ युद्ध हुआ. पाली का पुनर्वास महाराजा विजय सिंह ने किया. इसके बाद यह एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र बना. हालांकि ब्रिटिश शासन के दौरान यहां के ठाकुरों ने खूब विद्रोह भी किया. जागीरदार ठाकुर कुशलसिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ खूनी विद्रोह किया था.