वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. 21 साल पुराने पामगढ़ शराब भट्ठी कांड मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने 14 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए सभी को बरी कर दिया. बता दें कि पामगढ़ मेले के दौरान शिक्षक की संदिग्ध मौत से आक्रोशित भीड़ ने शराब भट्‌ठी के मैनेजर पर हमला किया था. पिटाई से मैनेजर भोला गुप्ता की मौत हो गई थी.

इस मामले में निचली अदालत ने 14 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. हाईकोर्ट ने साक्ष्यों की कमी और गवाहों के विरोधाभासी बयान पर उम्रकैद की सजा को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि भीड़ में मौजूद होने से अपराध साबित नहीं होता, जब तक भूमिका साबित न हो.

सेशन कोर्ट ने 14 आरोपियों को सुनाई थी उम्रकैद की सजा

बतादें कि 9 दिसंबर 2004 को पामगढ़ के चांदीपारा में राउत मड़ई मेले के दौरान स्थानीय शिक्षक महेश खरे (गुरुजी) की संदिग्ध मौत हुई थी. अगले दिन आक्रोशित भीड़ ने पामगढ़ शराब भट्ठी में तोड़फोड़ व आगजनी कर दी. भीड़ ने डिस्टिलरी मैनेजर भोला गुप्ता की पिटाई कर दी थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी. सेशन कोर्ट ने इस मामले में 14 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

केवल भीड़ में मौजूद होने से अपराध साबित नहीं होता : कोर्ट

हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों की उपस्थिति और उनकी पहचान को प्रमाणित नहीं कर पाया. अधिकांश गवाह शत्रुतापूर्ण हो गए और किसी ने भी घटना स्थल पर आरोपियों की स्पष्ट पहचान नहीं की. एफएसएल रिपोर्ट में भी जब्त डंडों व कपड़ों पर मिले खून का समूह मृतक से मेल नहीं खाया. कोर्ट ने कहा कि केवल भीड़ में मौजूद होना अपराध साबित नहीं करता जब तक यह सिद्ध न हो कि आरोपी ने हिंसा में सक्रिय भागीदारी की हो. इसी आधार पर अदालत ने सभी 14 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया.