Donald Trump On Panama Canal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शपथ ग्रहण के बाद से ही एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। एक के बाद एक कई बड़े फैसले ले रहे हैं। ट्रंप ने एक बार फिर से पनामा नहर पर कब्जा करने की धमकी की दी है। ट्रंप की धमकी के आगे पनामा झुक गया है। पनामा ने चीन को जोर का झटका देते हुए ड्रैगन के वन बेल्ट वन रोड (One Belt One Road) से पीछे हट गया है। पनामा का यह फैसला ड्रैगन के मंसूबे को फेल कर सकता है।

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बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका पनामा को वापस लेकर रहेगा और इसके लिए हम कुछ बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पनामा ही चीन को चला रहा है जबकि इस नहर को चीन को नहीं सौंपा गया था। पनामा नहर बेवकूफाना तरीके से पनामा को सौंपी गई थी।

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वहीं डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल मची हुई है। ट्रंप ने शनिवार को कनाडा और मेक्सिको जैसे पड़ोसी मुल्कों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाकर हलचल मचा दिया था। चीन पर भी 10 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। अब ट्रंप के दबाव में पनामा भी झुक गया है।

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पनामा नहर को लेकर ट्रंप के दबाव के बीच पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने कहा कि है कि उनका देश चीन की महत्वाकांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड (BRI) को रिन्यू नहीं करेगा। राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा कि अब पनामा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स सहित नए निवेश पर अमेरिका के साथ मिलकर काम करेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि उनकी सरकार पनामा पोर्ट्स कंपनी का ऑडिट करेगी। यह कंपनी पनामा नहर के दो बंदरगाहों को ऑपरेट करने वाली चीन की कंपनी के साथ जुड़ी है। मुलिनो ने कहा कि हमें पहले ऑडिट पूरा होने का इंतजार करना पड़ेगा।

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पनामा 2017 में चीन की इस योजना से जुड़ा था. लेकिन अब पनामा के राष्ट्रपति के इस ऐलान के बाद साफ है कि पनामा जल्द ही चीन की इस योजना से बाहर निकलने जा रहा है।

क्या बोले ट्रंप?

राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका पनामा को अब हर हालत में वापस लेकर रहेगा और इसके लिए हम अब कुछ बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि असल मायने में पनामा को चीन चला रहा है, जबकि इस नहर को चीन को नहीं सौंपा गया था। पनामा नहर बेवकूफाना तरीके से पनामा को सौंपी गई थी, लेकिन उन्होंने एग्रीमेंट का उल्लंघन किया। हम इसे वापस लेकर रहेंगे। ट्रंप ने कहा कि अगर नैतिक और कानूनी दोनों सिद्धांतों का पालन किया जाए तो हम मांग करेंगे की कि पनामा नहर को जल्द से जल्द अमेरिका को लौटा दिया जाए।

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अमेरिकी विदेश मंत्री की पनामा को धमकी

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पनामा के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी। इसके साथ ही उन्होंने पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो को साफ कहा कि जलमार्ग से चीन का नियंत्रण खत्म किया जाए. अगर ऐसा नहीं किया गया तो वाशिंगटन आवश्यक कदम उठाएगा। मंत्री की इस धमकी के बाद पनामा का भी रिएक्शन सामने आया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हम आक्रमण से नहीं डरते हैं। इसी दौरान उन्होंने दोनों देशों से बातचीत की पेशकश की।

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पनामा नहर में चीन की क्या भूमिका है?

पनामा नहर के संचालन में चीन की सरकार की स्पष्ट भूमिका का कोई प्रमाण नहीं है लेकिन पनामा में चीनी कंपनियों की अच्छी-ख़ासी मौजूदगी है। अक्तूबर 2023 से सितंबर 2024 तक पनामा से होकर गुजरने वाले जहाजों में 21.4 फीसलदी उत्पाद चीन का था। चीन अमेरिका के बाद पनामा नहर का सबसे अधिक इस्तेमाल करने वाला देश है.हाल के वर्षों में चीन ने नहर के पास बंदरगाहों और टर्मिनलों में भी भारी निवेश किया है।

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अमेरिका के हाथ से कब गई पनामा नहर

पनामा नहर की लंबाई 82 किलोमीटर है, जो अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। अमेरिका ने 1900 के दशक की शुरुआत में इस नहर का निर्माण कराया था और 1914 में इसे खोल दिया गया था। इसके बाद लंबे समय तक अमेरिका का नहर पर नियंत्रण रहा। साल 1977 में अमेरिका का नियंत्रण कम हुआ. साल 1977 में एक संधि के तहत इस नहर पर पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण हुआ। साल 1999 की संधि के तहत नहर पर पूरी तरह से पन्ना का नियंत्रण हो गया, तभी से इस पर पनामा का नियंत्रण है।

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वर्ल्ड में पनामा की क्या अहमियत

दुनियाभर की जियोपॉलिटिक्स में पनामा नहर की खासी अहमियत है। दुनियाभर का छह फीसदी समुद्री व्यापार इसी नहर से होता है। अमेरिका के लिए इस नहर का बहुत महत्व है। अमेरिका का 14 फीसदी कारोबार पनामा नहर के जरिए होता है। एशिया से अगर कैरेबियाई देश माल भेजना हो तो जहाज पनामा नहर से होकर ही गुजरते हैं। पनामा नहर पर कब्जा होने की स्थिति में दुनियाभर की सप्लाई चेन बाधित होने का खतरा है।

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