Panchamukhi Shiva: भगवान शिव को त्रिनेत्रधारी और नटराज रूप में तो अधिकतर लोग जानते हैं, लेकिन उनका एक और अत्यंत रहस्यमय स्वरूप है, पंचमुखी शिव. यह रूप न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है, बल्कि ब्रह्मांड के पंचतत्वों और दिशाओं का भी प्रतिनिधित्व करता है.

पंचमुख का अर्थ है पाँच मुख. शिव के ये पाँच मुख हैं, ईशान, तत्पुरुष, अघोरा, वामदेव और सद्योजात. ये मुख अलग-अलग दिशाओं और ब्रह्मांडीय शक्तियों से जुड़े हुए हैं. धार्मिक मान्यता है कि इनका ध्यान और दर्शन करने से साधक को पंचतत्वों पर नियंत्रण, गहन ध्यानशक्ति और आत्मिक शांति प्राप्त होती है. (Panchamukhi Shiva)

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Panchamukhi Shiva

Panchamukhi Shiva

देशभर में कुछ चुनिंदा मंदिर ऐसे हैं जहाँ पंचमुखी शिव के दर्शन दुर्लभ और दिव्य माने जाते हैं. प्रमुख स्थलों में शामिल हैं:

  • काशी विश्वनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) – शिव के पंचमुख रूप का गुप्त रूप से ध्यान किया जाता है.
  • पंचमुखी महादेव (रांची, झारखंड) – जहाँ शिव की पंचमुख प्रतिमा श्रद्धालुओं के बीच विशेष आस्था का केंद्र है.
  • कुंभकोणम (तमिलनाडु) – दक्षिण भारत में पंचतत्व आधारित यह मंदिर आध्यात्मिक खोज के लिए प्रसिद्ध है.
  • महेश्वर (मध्य प्रदेश) – नर्मदा किनारे स्थित इस स्थल पर पंचमुखी शिवलिंग के दर्शन होते हैं.

Panchamukhi Shiva. पंचमुखी शिव के साथ देवी शक्ति का भी आह्वान होता है. दर्शन करने से भक्तों को माँ पार्वती और देवी दुर्गा की कृपा भी प्राप्त होती है. धार्मिक मान्यता है कि पंचमुखी शिव की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, साधना की सिद्धि मिलती है और जीवन में संतुलन तथा स्थिरता आती है.

यह रहस्यमय रूप केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि आत्मिक ऊँचाइयों की ओर एक कदम भी माना जाता है.

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