राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) में पंचायतों के हुए परिसीमन को शिवराज सरकार (Shivraj Government) द्वारा निरस्त करने के बाद पंचायत चुनाव पर ग्रहण (eclipse on panchayat election)  लग गया है। मध्यप्रदेश में अभी पंचायत चुनाव होने पर संशय उत्पन्न हो गया है। राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने सोमवार को प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की। चर्चा के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग ने साफ किया कि नया परिसीमन होने से तुरंत चुनाव कराना संभव नहीं है। 

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इसके बाद मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग (Madhya Pradesh State Election Commission)  ने सभी कलेक्टरों से प्रदेश के पंचायतों के 2014 परिसीमन की स्थिति की जानकारी मांगी। सबसे पहले ग्राम पंचायतों की जानकारी मांगी गई है। बता दें कि परिसीमन न होता तो आज-कल में चुनाव कार्यक्रम राज्य निर्वाचन आयोग जारी कर सकता था।

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क्यों बनी ये स्थिति 

मध्य प्रदेश सरकार ने पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश 2021 को मंजूरी दे दी है। शिवराज सरकार ने इसकी अधिसूचना रविवार रात को जारी की। इसके अनुसार जहां एक साल से चुनाव नहीं हुए हैं, ऐसी पंचायतों के परिसीमन को निरस्त कर दिया गया है। इन जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों में अब पुरानी ही व्यवस्था रहेगी। यानी आरक्षण व्यवस्था में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा। जो जैसा था, वैसा ही रहेगा।

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मध्य प्रदेश में 23,912 ग्राम पंचायतें
पता हो मध्य प्रदेश में 23,912 ग्राम पंचायतें हैं। 904 जिला पंचायत सदस्य और 6035 जनपद सदस्य त्रि-स्तरीय पंचायत का प्रतिनिधित्व करते हैं। 2014-15 में हुए पंचायत चुनाव के बाद 2020 तक उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है। 2014-15 में पंचायत चुनाव हुए थे। इससे 2020 तक उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है। परिसीमन से पहले प्रदेश में 22 हजार 812 पंचायतें थीं।