रायपुर. मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा का विधान है. हनुमान जी की पूजा किसी भी रूप में की जाए परम सुख दायक और फलदायी होती है लेकिन पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है. हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर लगाकर पूजा की जाए तो मंगल, शनि, पितृ और भूत दोष से मुक्ति मिल जाती है. पंचमुखी हनुमान जी की पूजा न सिर्फ सामान्य पूजा से भिन्न है बल्कि इसका प्रभाव भी शीघ्र पड़ता है.

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा विधि

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा हनुमान जी के सामान्य रूप से भिन्न है. इनकी मूर्ति या तस्वीर घर की दक्षिण दिशा में ही स्थापित करनी चाहिए. यूं तो हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष दिन मंगलवार और शनिवार है लेकिन इनकी पूजा सप्ताह के किसी भी पांच दिन की जा सकती है.

पंचमुखी हनुमान जी को सिन्दूर नहीं चढ़ाया जाता है बल्कि लाल रंग का फूल या चमेली का तेल अर्पित करना शुभ फलदायी होता है. इनकी पूजा में नियमों के उलंघन की कोई गुंजाइश नहीं है. इसी कारण से हनुमान जी के पंचमुखी रूप की पूजा करना कठिन माना जाता है.

पंचमुखी हनुमान जी की पूजा का महत्व

पंचमुखी हनुमान जी के पांच मुख पांच अलग-अलग दिशाओं की तरफ हैं. हर एक मुख का अपना विशेष महत्व है. हर एक मुख एक जीवा और उससे जुड़ी खूबियों को दर्शाता है. पंचमुखी हनुमान जी के 5 मुख- पहला वानर का, दूसरा गरुड़ का, तीसरा वराह का, चौथा नृसिंह का और पांचवा अश्व का. इस स्वरूप में वानर मुख पूर्व दिशा में है. तो वहीं, गरुड़ मुख पश्चिम दिशा में है.