शुभम नांदेकर, पांढुर्णा। पांढुर्णा जिले में प्रशासनिक लापरवाही और राजनीतिक मौन ने विद्यार्थियों और आम जनता को गहरी निराशा में डाल दिया है। न तो रेत माफियाओं पर कार्रवाई हो रही है, और न ही छात्रों के भविष्य को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
एमपीपीएससी परीक्षा निरस्तीकरण: एक बहाना या विफलता.?
हाल ही में एमपीपीएससी परीक्षा को सिर्फ इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि जिले में स्ट्रांग रूम की व्यवस्था नहीं है। चुनावों के लिए स्ट्रांग रूम बनता है, लेकिन उत्तरपुस्तिकाओं के लिए नहीं? यह प्रशासनिक विफलता का एक और उदाहरण है।
नेताओं की चुप्पी: जिम्मेदारी या उदासीनता?
सत्ताधारी और विपक्षी नेताओं की चुप्पी इस स्थिति को और गंभीर बनाती है। वे पूरी स्थिति से अवगत हैं लेकिन मूकदर्शक बने हुए हैं। यह रवैया उनकी कर्तव्यहीनता और जिले के विकास के प्रति उदासीनता को उजागर करता है।
क्या सिर्फ जिला घोषित करना पर्याप्त है?
शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पांढुर्णा को जिला घोषित किया गया था, लेकिन विभागीय कार्यालय अभी तक स्थापित नहीं हुए। स्वास्थ्य, शिक्षा, और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास अधूरा है।
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अंधकार में विद्यार्थियों का भविष्य
इस लापरवाही का सबसे बड़ा शिकार युवा और विद्यार्थी हो रहे हैं। उनका भविष्य अंधकार में लटकता नजर आ रहा है।
सशक्त विरोध की आवश्यकता
जनता और विद्यार्थियों को इस उदासीनता के खिलाफ आवाज उठानी होगी। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदारी निभाने के लिए मजबूर करना होगा।
पांढुर्णा सेंटर पुनः बहाल करने बजरंगियों ने सौंपा ज्ञापन
आज मंगलवार को बजरंग दल पांढुर्णा के कार्यकर्ताओं ने एमपीपीएससी परीक्षा केंद्र को पांढुर्णा में पुनः स्थापित करने की मांग को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में बताया गया कि पांढुर्णा में पूर्व से ही एमपीपीएससी और अन्य परीक्षाओं के लिए केंद्र संचालित हो रहा था, लेकिन इस बार परीक्षा केंद्र सूची से पांढुर्णा का नाम हटा दिया गया है।
ज्ञापन के अनुसार, पांढुर्णा में जिला प्रशासन द्वारा बीते डेढ़ साल में स्ट्रॉन्ग रूम की सुविधा उपलब्ध नहीं कराने के कारण केंद्र का नाम हटाया गया है। जिससे छात्रों और अभिभावकों में भारी नाराजगी है। छात्रों और कार्यकर्ताओं ने आगामी फरवरी 2025 में आयोजित होने वाली एमपीपीएससी परीक्षा के लिए पांढुर्णा को केंद्र के रूप में बहाल करने की मांग की। विश्व हिंदू परिषद विधि प्रकोष्ठ के जिला संयोजक चेतन सुरजुसे के साथ रवि नारनवरे, प्रीतम करदाते, राहुल धावड़े, सागर नारनवरे, सुजल घाघरे, ललित चौधरी, और अन्य बजरंग दल कार्यकर्ताओं के साथ छात्र भी शामिल हुए।
आंदोलन की चेतावनी
कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे छात्र हित संगठनों के साथ सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होंगे। पांढुर्णा जिले के छात्रों ने स्थानीय स्तर पर परीक्षा आयोजित करने की मांग की है। छात्रों और कार्यकर्ताओं की मांगें पूरी न होने पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी गई है।
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