अजय शर्मा,भोपाल। मध्य प्रदेश का परिवहन विभाग स्कूली बसों को लेकर कितना संवेदनशील है. खुद विभाग की ताजा रिपोर्ट में निकल कर सामने आया है. भोपाल की स्कूल बस में बच्ची के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आने के बाद विभाग ने जब स्कूली बसों की पड़ताल करना शुरू किया, तो विभाग के बड़े अधिकारियों की आंखें फटी रह गई. वीएलटीडी पैनिक बटन के मामले में अधिकारी अभी तक आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे रहे जैसे ही सर्वे का काम शुरू हुआ वैसे ही लापरवाही है खुलकर सामने आने लगी.

लापरवाही की गवाही देते आंकड़े

प्रदेश के 20 हजार स्कूली बसों में महज 4 फ़ीसदी बस ऐसी हैं, जिसमें वीएलटीडी, पैनिक बटन लगे हुए हैं. आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो प्रदेश में करीब 19 हजार 814 भोपाल में 17 हजार से अधिक स्कूली बसें रजिस्टर्ड है. शहर में इन बसों से करीब 70हजार से अधिक बच्चे सफर करते हैं. अब परिवहन विभाग ने व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस विल (एलटीड) पैनिक बटन लगाने की मुहिम की शुरुआत की तो हकीकत सामने आ गई. तभी स्कूली बसों में भी एलटीडी पैनिक बटन को अनिवार्य किए जाने के आदेश के 12 दिन बीत चुके हैं, लेकिन प्रदेश के करीब 20 हजार बसों में से महज 4 फीसदी बसों में ही वीएलटीडी पैनिक बटन लगाए गए हैं. अब विभाग युद्ध स्तर पर मुहिम चलाने और ऐसी बसों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने की बात कह रहा है.

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एक सप्ताह में दुरस्त हो हालात

विभाग के अधिकारियों की माने तो यह डिवाइस नहीं लगाने वाली स्कूल में बच्चों को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं जारी किया जाएगा. परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत ने इस मामले को लेकर विभाग के अधिकारियों को सख्त दिशा निर्देश दिए हैं और तत्काल गलतियों को सुधारते हुए व्यवस्था को 1 सप्ताह के अंदर दुरस्त करने की बात कही है.

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अब इनकी होगी जिम्मेदारी

परिवहन विभाग ने एक्यूरेट कम्युनिकेशन सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, आरडीएम इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड, जीआरएल इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, इकोगस इंपैक्स प्राइवेट लिमिटेड को डिवाइस लगाने के लिए अधिकृत किया है. इन्हीं की लगाई हुई डिवाइसों के आधार पर परिवहन विभाग बसों को मान्य करेगा.

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