पाकिस्तान भी हर भारतीय की तरह इस चिंता में है कि भारत कब हमला करेगा, और यही डर उन्हें चैन से सोने नहीं दे रहा है. हालात यह हैं कि पाकिस्तान के सांसद एक विशेष सत्र बुलाकर अपने इस भय को साझा कर रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति इतनी गंभीर है कि वे संसद में भी आने से कतराते हैं. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य पहलगाम हमले के बाद भारत की संभावित कार्रवाई पर चर्चा करना था. हालांकि, इस चर्चा में सांसदों की संख्या बेहद कम रही, और जिस मुद्दे पर वे विभिन्न मंचों पर बड़े-बड़े बयान दे रहे हैं, उसी पर चर्चा के दिन संसद लगभग खाली थी. कोई भी सांसद भारत और भारतीय सेना के खिलाफ कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा सका.

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पाकिस्तान के सांसदों को यह भली-भांति ज्ञात है कि भारत किसी न किसी समय हमला करेगा. वे केवल इस बात की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि यह हमला कब होगा.

शेर अफजल खान मारवात का बयान

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सांसद शेर अफजल खान मारवात ने कहा है कि यदि भारत ने हमला किया, तो वे लड़ाई में शामिल नहीं होंगे, बल्कि इंग्लैंड की ओर भाग जाएंगे.

पाकिस्तान में युद्ध का डर

पाकिस्तान के नेता और उनके सैन्य अधिकारी अपने परिवारों को विभिन्न देशों में स्थानांतरित कर चुके हैं. उन्हें यह एहसास है कि यदि भारत के साथ युद्ध होता है, तो चार दिनों के भीतर स्थिति गंभीर हो जाएगी, क्योंकि उनके पास भारत के खिलाफ लड़ने की क्षमता नहीं है.

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पाकिस्तान के पास 4 दिन का गोला-बारूद

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान के पास युद्ध के लिए केवल चार दिन का गोला-बारूद शेष रह गया है, क्योंकि सरकार ने आर्थिक लाभ के लिए अपने हथियार यूक्रेन को बेच दिए हैं. पाकिस्तान ने अमेरिका की एक कंपनी के साथ लगभग 7,843 करोड़ रुपये की एक डील के तहत यूक्रेन को 155 मिमी के तोप के गोले बेचे हैं, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान के पास अपनी एम-109 होवित्जर तोप के लिए पर्याप्त गोला-बारूद नहीं बचा है.

पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री की मशीनें, जो पाकिस्तानी सेना को हथियार प्रदान करती हैं, अब पुरानी हो चुकी हैं, जिसके कारण बड़े पैमाने पर हथियारों का उत्पादन नहीं हो पा रहा है. इसी संदर्भ में तीन दिन पहले पाकिस्तान में स्पेशल कोर कमांडर्स की एक कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई, जिसमें इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई.

पाकिस्तान की मजबूरी और अंतरराष्ट्रीय दबाव

पाकिस्तानी सेना इस चिंता में है कि बिना गोला-बारूद के भारत के खिलाफ कैसे लड़ा जाए. इस मुद्दे पर पाकिस्तान में काफी हंगामा हो रहा है, खासकर इस बात को लेकर कि उनकी सरकार ने यूक्रेन को हथियार क्यों बेचे. वास्तव में, यूक्रेन को हथियार बेचना पाकिस्तान की एक मजबूरी थी.

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पाकिस्तान ने अमेरिका और ब्रिटेन के दबाव में आकर अपने गोला-बारूद को यूक्रेन को बेचा, जिसके परिणामस्वरूप अब उसके पास भारत के साथ युद्ध करने के लिए पर्याप्त गोला-बारूद नहीं बचा है. इन देशों ने पाकिस्तान पर यह दबाव डाला ताकि वे अपने हथियार यूक्रेन को न भेजें. इसके साथ ही, पाकिस्तान को यह आश्वासन दिया गया कि यदि वह यूक्रेन को हथियार बेचेगा, तो उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकाला जाएगा. आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान ने इस लालच में आकर अपने अधिकांश गोला-बारूद यूक्रेन को बेच दिए, जिससे वह और भी गंभीर स्थिति में पहुंच गया है.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री की कन्फेशन

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि उनका देश आतंकवादियों को समर्थन प्रदान करता है. उन्होंने अमेरिका और ब्रिटेन का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि पाकिस्तान इन देशों के दबाव में ऐसा कर रहा है. इस बयान को अमेरिका और ब्रिटेन पर दबाव बनाने की एक कूटनीतिक चाल माना गया है, ताकि ये देश मिलकर भारत पर युद्ध न करने का दबाव डाल सकें. पाकिस्तान की सेना इस चिंता में है कि यदि भारत ने बड़ा युद्ध छेड़ा, तो उन्हें केवल 96 घंटे में आत्मसमर्पण करना पड़ सकता है. इसके अलावा, पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी इतनी कमजोर है कि वह अन्य देशों से हथियार खरीदने में असमर्थ है.