सत्या राजपूत, रायपुर. टॉप टेन में छत्तीसगढ़ को देखने का दावा करने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों के दावों की पोल परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण ने खोल दी है. नतीजे वही पुराने ढर्रे के हैं. भाषा में 59 % और गणित में 57% अंकों के साथ छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय औसत भाषा में 64%, गणित में 60% से थोड़ा पीछे छूट गया. मतलब, 41% बच्चे भाषा को समझने में और 43% गणित के सवालों को सुलझाने में ‘अटक’ गए. अब ये तो वही बात हुई कि बच्चे किताब खोलते हैं, लेकिन किताब बच्चों को खोल देती है?

सहायक संचालक एम. सुधीश ने बताया कि 2017 और 2021 के मुकाबले इस बार छत्तीसगढ़ ने छलांग मारी है. पहले तो हम शिक्षा के मैदान में आखिरी पायदान के करीब होते थे, लेकिन अब बीच में आ गए हैं. शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थी आगे हैं. वहीं बालकों की तुलना में बालिकाओं ने फिर साबित किया है कि हम आगे हैं.

खैर परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण में कुछ और मजेदार खुलासे भी हुए हैं. बालिकाओं ने बालकों को पछाड़ दिया है. छात्राओं का कहना है कि “हमसे पंगा नहीं, हम तो टॉप करेंगे.” सर्वे में ग्रामीण स्कूलों ने शहरी स्कूलों को धूल चटाई और सरकारी स्कूलों ने प्राइवेट स्कूलों को आइना दिखाया. प्राइवेट स्कूल वाले तो शायद अभी भी सोच रहे हैं, “हमारे AC क्लासरूम का क्या हुआ?” हालांकि बड़ी कक्षाओं में सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कम रहा है.

फेल होने के बाद पास का मजा

राष्ट्रीय औसत से कुछ अंक पीछे हैं, लेकिन सुधार को देख, सुनकर लगता है जैसे कोई कह रहा हो कि पिछली बार तो हम फेल थे, इस बार पास मार्क्स के करीब पहुंच गए, ये क्या कम है?

प्रदेश में इन जिलों का उदित का सपना पूरा

कक्षा तीसरी में बालोद, बलरामपुर, बीजापुर, जशपुर, कोरिया, रायगढ़, सूरजपुर और सरगुजा ने ‘उदित श्रेणी’ में झंडे गाड़े हैं.
कक्षा छठवीं में बलरामपुर, बस्तर, बीजापुर, रायगढ़ और सरगुजा चमके.
कक्षा नवीं में बस्तर, बीजापुर, बिलासपुर, धमतरी, दुर्ग, रायगढ़ और सरगुजा ने बाजी मारी.

तीनों कैटेगरी में ये जिले प्रदेश में टॉप

रायगढ़, सूरजपुर और बीजापुर जिला तीनों कक्षाओं में ‘हीरो’ बनकर उभरे हैं, लेकिन दूसरी तरफ सुकमा, नारायणपुर, जांजगीर चांपा और कोंडागांव ने तीनों कक्षाओं में ऐसा प्रदर्शन किया कि लगता है इन्होंने सोचा परख में परखने की क्या जरूरत, हम तो वैसे ही मशहूर हैं.

शेयर मार्केट की तरह आ रहा शिक्षा स्तर का इतिहास

वैसे तो परख सर्वेक्षण हर तीन साल में होता है, जिससे पता चलता है कि बच्चे कितना सीख रहे हैं और शिक्षक कितना सिखा रहे हैं. 2001 से शुरू हुआ ये तमाशा पहले NAS, अब परख हर बार नई कहानी लाता है. 2013-14 में छत्तीसगढ़ 34वें नंबर पर था, 2017-18 में 18वें पर उछला फिर 2021-22 में 30वें से भी नीचे लुढ़क गया. इस बा, शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, हम फिर मिडिल क्लास में आ गए हैं. मतलब छत्तीसगढ़ की शिक्षा का ग्राफ ऐसा है, जैसे कोई स्टॉक मार्केट कभी ऊपर कभी नीचे, लेकिन कभी टॉप पर नहीं पहुंचता.

शिक्षा विभाग को सीख

बार-बार का नतीजा बता रहा है कि अब शिक्षकों की दक्षता आधारित शिक्षण पर जोर देना होगा, ताकि अगली बार परख सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ के शिक्षा स्तर का देश में गुणगान हो. सुकमा, जांजगीर चांपा, कोंडागांव और नारायणपुर जैसे जिलों को तो लगता है गणित और भाषा से ज्यादा ‘सबसे ख़राब श्रेणी में टॉप करने की ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी, वहीं दूसरी ओर रायगढ़, सूरजपुर, बीजापुर ने परख को सचमुच ‘परख’ लिया, बाकियों का बस यही कहना है कि अगली बार और मेहनत करो वरना परख फिर परखेगी.

देखिए छत्तीसगढ़ की परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट

परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण में इतने स्कूल, शिक्षक और बच्चे हुए थे शामिल