सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। प्रदेश में ट्यूशन फीस परिभाषित नहीं होने की वजह से छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने अब हाईकोर्ट का रुख करने का निर्णय लिया है. हाईकोर्ट के आदेश के एक साल बाद भी अब तक ट्यूशन फीस का निर्धारण नहीं हुआ है. इस बीच निजी स्कूल लॉकडाउन के दौरान की भी पूरी फीस वसूली को लेकर पैरेंट एसोसिएशन ने शिक्षा सचिव एवं संचालक को पत्र लिखा है.
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री के लेटर लिखने के बाद शिक्षा विभाग ट्यूशऩ फीस परिभाषित नहीं किया गया है, इसलिए छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन फिर से उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर ट्यूशन फीस को परिभाषित करने की मांग करेगा. उन्होंने कहा कि सरकार पालकों की हित नहीं चाहती. सरकार को सिर्फ प्रायवेट विद्यालयों की चिंता है, इसलिए हमें अपनी लड़ाई स्वयं लड़ना पड़ेगा और अपने अधिकार और अपने बच्चों के जीवन व भविष्य की चिंता स्वयं करना पड़ेगा.
बता दें कि ट्यूशन फीस के नाम पर कई प्रायवेट विद्यालयों के द्वारा मनमानी फीस लिए जाने की शिकायत की गई थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्कूल शिक्षा विभाग को 26 अगस्त 2020 को पत्र लिखकर ट्यूशन फीस को परिभाषित करने का निर्देश दिया था. इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग के अवर सचिव एआर खान ने 27 अक्टूबर 2020 को लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिखकर ट्यूशन फीस को परिभाषित करने का निर्देश दिया था, जिस पर कोई विचार नही किया गया. इसके बाद लोक शिक्षण संचालनालय संचालक जितेन्द्र शुक्ला को पत्र लिखकर ट्यूशन फीस को परिभाषित करने का आग्रह किया, लेकिन इसके बाद भी आज तक ट्यूशन फीस परिभाषित नहीं की गई है.
स्कूल और पालक आपस में करेंगे तय
ट्यूशन फीस को लेकर प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला ने कहा कि विधानसभा ने एक अधिनियम पारित किया है, उसको प्रदेश में लागू किया गया है. निजी स्कूल और पालक आपस में चर्चा कर फीस तय करेंगे. लगभग 95 प्रतिशत काम पुरा हो गया है, बाकी बहुत जल्द पूरा काम कर लिया जाएगा. कोर्ट के किसी भी मामले में हम पार्टी नहीं है, इस पर कुछ नहीं बोल सकता.