सत्या राजपूत,रायपुर। देश में कक्षा पहली में प्रवेश के लिए 6 साल निर्धारित है लेकिन छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग की मनमानी चरम पर है और वो नियम को क़ानून ठेंगा दिखाते हुए ख़ुद ही अलग-अलग नियम क़ानून गढ़ रहे है. दुर्भाग्य की बात है शिक्षा विभाग के कंधों पर शिक्षित व्यक्ति सभ्य समाज बनाने की ज़िम्मेदारी है लेकिन यहां प्रवेश के लिए बनाए गए अलग-अलग नियम शिक्षा विभाग और उसके अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर रहे है.

शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 6 साल में प्रवेश देने का प्रावधान है लेकिन पांच सालों में प्रवेश दिया जा रहा है. प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश में नियमों को तिलांजलि दी जा रही है, तो वहीं आत्मानंद स्कूल में प्रवेश नियमों में भिन्नता है, ऐसे में सवाल उठता है कि एक ही राज्य में एक ही विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में अलग-अलग जगह देखकर अलग अलग नियम क़ानून क्यों है.

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पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि स्वामी आत्मानंद स्कूलों में 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कक्षा पहली में प्रवेश दिया जा रहा है, जो शिक्षा का अधिकार कानून का स्पष्ट उल्लंघन है. वैसी ही आरटीई के अंतर्गत प्राइवेट स्कूलों में कक्षा पहली के लिए 5 वर्ष के बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है, जबकि शिक्षा का अधिकार कानून में कक्षा पहली के लिए उम्र 6 वर्ष निर्धारित है, तो नई शिक्षा निति के अनुसार कक्षा पहली के लिए उम्र 6 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए. केन्द्र सरकार ने 15 फरवरी 2024 को पत्र लिखकर कक्षा पहली के लिए उम्र 6 वर्ष निर्धारित करने का निर्देश दिया है.

उन्होंने कहा कि छग राज्य बाल आयोग ने भी इस संबंध में डीपीआई को पत्र लिखा है, इसके बावजूद डीपीआई की ओर से 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कक्षा पहली में प्रवेश दिया जा रहा है, जो शिक्षा का अधिकार कानून का उल्लघंन है.

वहीं इस मामले को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने लोक शिक्षण संचालनालय के अतिरिक्त संचालक डॉ. योगेश शिवहरे से बात की तो उन्होंने कहा कि जानकारी मिली है, जल्द ही नियमानुसार सभी के लिए एक जैसे प्रावधान किए जाएंगे. इसके लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा.