सत्या राजपूत,रायपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज भारत मंडपम, आईटीपीओ प्रगति मैदान में छात्र-छात्राओं से ‘परीक्षा पे चर्चा‘ की. राजधानी रायपुर के पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आयोजित किया था. इसमें प्रदेश के कई स्कूलों के बच्चे शामिल हुए. अब इस कार्यक्रम में विद्यार्थी क्या-क्या सीखें, इसमें उनकी प्रतिक्रिया सामने आई है.

विद्यार्थी अमन ने कहा, बोले तो…टेंशन नहीं लेने का…टेंशन देने का. वीरेंद्र तिवारी ने कहा, टीचर टेंशन देकर पढ़ाते हैं तो कैसे बिना टेंशन के परीक्षा देंगे. निकिता कश्यप ने कहा, आए थे कार्यक्रम में..सुन लिए.. कल से वही ढर्रा में फिर पड़ेंगे. वहीं, गोपी साहू ने कहा, जब सबके सामने क्लास में टीचर खड़े करवाकर डांटते हैं ना तो जो फिल होता है वो बता नहीं सकता. टीचर पढ़ाते तो हिंदी में हैं, लेकिन डांटते समय उन पर अंग्रेजी भूत सवार हो जाता है. कहते हैं… Get out in my class… ये सुन कर कितना बेइज्जती होती है ये बता नहीं सकते. बताने के लिए बहुत हैं, लेकिन उसी स्कूल में पढ़ना है तो बोल नहीं सकते.

छात्रा पिंकी शर्मा ने कहा, कभी-कभी टीचर क्लास में आते ही बरस पड़ते हैं. अब इसके बाद जिसका मन उदास है, टेंशन में है, वो क्या समझेगा? हिमांशु कुमार ने कहा, घर में मम्मी-पापा बोलते हैं, पड़ोसी से सीखो.. इससे सीखो… उससे सीखो… कितना नंबर लाता है? तुम क्यों नहीं लाते हो? ऐसे में कैसे बिना तनाव पढ़ाई होगी. शंकर ध्रुव ने कहा, क्लास में जैसे टीचर पढ़ाते हैं उसके बाद पूछते हैं किसे-किसे समझ में आया? आगे से दो चार बच्चे हाथ खड़ा करते हैं. फिर टीचर बोलते हैं कुछ तो सीखो इनसे भी. समझ नहीं आया बोलने पर.. शिक्षक फट से हमें बोलते हैं ध्यान कहा था तुम्हारा? गदहे हो. अब समझ नहीं आया तो गधा कैसे हो गया, समझ नहीं आया तो दूसरे तरीके से बताना चाहिए.

वहीं, विद्यार्थी प्रियंका साहू ने कहा, मेरा बैग इतना भारी होता है कि उठाकर थक जाती हूं, तो पढ़ने का मन नहीं करता. स्कूल में पढ़ो, घर में पढ़ो, फिर ट्यूशन में पढ़ों. घर में भी बोलते हैं ये मत करो, वो मत करो, स्कूल में भी आंख दिखाते बोलते हैं. सूरज कश्यप ने कहा, परीक्षा से डर लगता है जब नहीं पढ़े रहते हैं, जब पढ़े रहते हैं तो नहीं लगता है. प्रधानमंत्री कह रहे थे टीचर और स्टूडेंट के बीच संबंध होना चाहिए, संबंधों दूर है तनाव और डर होता है. कभी स्कूल के बाद फोन करके पूछ लेते हैं तो बोल देते हैं कि स्कूल में आना कल बताएंगे.

विद्यार्थियों ने नाम पूछने पर तो बता दिए थे, लेकिन उनका आग्रह था कि स्कूल का नाम न लिखा जाए, नहीं तो हमको स्कूल से निकाल दिया जाएगा या तो कुछ सजा देंगे.