Nishikant Dubey: संसद का मानसून सत्र (Parliament Monsoon Session) चल रहा है। मानसून सत्र के चौथे दिन भी संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष ने भारी हंगामा किया। हंगामे के कारण राज्यसभा शुक्रवार तक स्थगित कर दिया गया। वहीं लोकसभा में सत्र के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष में कई बार तकरार देखने को मिली। झारखंड (Jharkhand) के गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने झारखंड के 25 विधानसभाओं में तेजी से मुस्लिम आबादी (Muslim population) बढ़ने का दावा किया। इसे लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। वहीं पश्चिम बंगाल (West Bengal) के मुर्शिदाबाद, मालदा और बिहार (Bihar) के अररिया और किशनगंज में लगातार बढ़ती मुस्लिम आबादी पर सरकार को वहां हस्तक्षेप करते हुए सभी चारों जिलों को केंद्रशासित प्रदेश (union territories) बनाने की मांग की।
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अपने भाषण के दौरान BJP सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि पाकुड़ विधानसभा में अभी दंगा हुआ, क्योंकि पश्चिम बंगाल की पुलिस ने वहां आकर हिंदुओं को भगाने का काम किया। इसकी वजह से गांव के गांव खाली हुए हैं। अगर ये बात गलत है तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। मुर्शिदाबाद और मालदा से आए लोगों ने हिंदुओं के ऊपर जुल्म किया।
झारखंड की पुलिस कोई काम नहीं कर पा रही है। BJP सांसद ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कि कोर्ट ने भी कहा है कि भारत में मुस्लिमों की आबादी दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। लिहाजा सरकार को वहां हस्तक्षेप करना चाहिए। मेरा आग्रह है कि मुर्शिदाबाद, अररिया, किशनगंज, मालदा और संथाल परगना को केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाए। यहां एनआरसी लागू किया जाए।
झारखंड में 25 विधानसभाओं में 110 फीसदी मुस्लिम आबादी बढ़ी
निशिकांत दुबे ने कहा कि इस बारे में कभी सदन में चर्चा नहीं होती है। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की सरकार ने भी इस पर कोई एक्शन नहीं लिया है। अब राज्य में बांग्लादेशियों की घुसपैठ बढ़ रही है। वो आदिवासी महिलाओं से शादी कर रहे हैं। ये हिंदू और मुस्लिम की बात नहीं है। हमारे यहां जो महिला आदिवासी कोटे से लोकसभा चुनाव लड़ती हैं उनके पति मुस्लिम हैं। हर पांच साल में 15 से 17 फीसदी विधानसभा में बढ़ती है। मैं जिस सीट से जीतकर आया हूं, उसकी एक विधानसभा मधेपुर में 267 बूथों पर मुस्लिमों की आबादी 117 फीसदी बढ़ गई। झारखंड में 25 विधानसभा ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 110 फीसदी आबादी बढ़ी है।
झारखंड के संथाल परगना में गायब हुई 10 फीसदी आदिवासी आबादी
निशिकांत दुबे ने लोक महत्व के अविलंबनीय मुद्दों पर बात करते हुए कहा कि संविधान खतरे में है। हम यहां दलित-पिछड़ों और आदिवासियों को बचाने की बात करते हैं। राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार उसका एक मात्र लक्ष्य यही है कि समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचा जाए। जब झारखंड बिहार से अलग हुआ है तो संथाल परगना में आदिवासियों की आबादी 36 फीसदी थी। आज ये 26 फीसदी है। 10 फीसदी आदिवासी कहां गायब हो गए।
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