रुपेश गुप्ता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि राज्यों की विधानसभाओं को संसदीय सचिव बनाने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने आसाम में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के जे चेलेमेश्वर,आर. के अग्रवाल और अभय मोहन सप्रे की तीन जजों की पीठ ने अपने 39 पेज के फैसले में कहा कि राज्य की विधानसभाओं को संविधान के अनुच्छेद 194(3) और एंट्री 39 के तहत संसदीय सचिवों की नियुक्ति का अधिकार नहीं है.

जाहिर तौर पर ये निर्णय सभी राज्यों पर लागू होंगे. स्वर्गीय विलोलंगसु रॉय की याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. रॉय की मौत के बाद भी इस पर सुनवाई जारी रही. विलोलंगसु ने सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका 2006 में दायर की थी जिसमें उन्होंने असम में संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती दी थी.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले चल रहे हैं. छत्तीसगढ़ में मामला हाईकोर्ट में है. जिसमें 25 जुलाई को ही सुनवाई होनी थी लेकिन महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा के अस्वस्थ होने के कारण सुनवाई एक हफ्ते के लिए टल गई.

अब अगली सुनवाई में याचिकाकर्ता मोहम्मद अकबर और राकेश चौबे कोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को रखेंगे जिसके बाद सरकार के लिए संसदीय सचिवों को बचाना बेहद मुश्किल हो जाएगा. गौरतलब है कि राज्य में 11 संसदीय सचिव हैं. राज्य सरकार की दलील है कि इनकी नियुक्ति विधानसभा में सरकार ने बिल लाकर की थी. यही दलील असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया है.