भगवान शिव के प्रिय मास सावन में किया गया शिव पूजन, व्रत तथा दान बहुत फलदायी होता है। शास्त्रों में शिव का मतलब कल्याण करने वाला बताया गया है। सावन मास के हर दिन में किए गए तप का अपना अलग ही महत्व होता है। श्रावण मास में बीमारी या पीड़ा से राहत हेतु पार्थिव पूजन का बहुत महत्व है। इसमें रविवार को ब्रम्ह मूहुर्त में तिल का तेल शरीर में मलकर स्नान करने के उपरांत आदितेश्वरनाथ पूजन के लिए शंकर जी के आदित्य स्वरूप की पूजा करने का विधान है। इसके लिए मिट्टी का लिंग बनाकर शिव महिम्र स्त्रोत के श्लोकों से पूजा और अभिषेक करें। सूर्य को अर्ध्य दें, जिसमें सफेद कनेर, बेलपत्र, चावल, दूध, शक्कर चढ़ाकर आरती करने के उपरांत दान करें तथा भजन कीर्तन करें। सूर्यास्त के पूर्व उक्त लिंग को बहते जल में प्रवाहित कर दान देने के उपरांत बिना नमक का आहार ग्रहण करें। इससे शारीरिक व्याधि दूर होकर स्वास्थ्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत में आदित्य हृद्यय स्त्रोत का जाप करना विशेष हितकर होता है।
पार्थिव शिवलिंग बनाने की सामग्री
पवित्र स्थान की मिट्टी, (बेलपत्र के पेड़ के जड़ की मिट्टी, तुलसी के पेड़ के जड़ की मिट्टी, पीपल के पेड़ के जड़ की मिट्टी, मंदिर के मिट्टी या किसी पवित्र नदी तालाब की मिट्टी)
दूध, मक्खन, गोबर, गुड़, भस्म और गंगाजल।
पार्थिव शिवलिंग/ मिट्टी के शिवलिंग बनाने/ पूजा की विधि –
पवित्र स्थान की मिट्टी लाए।
मिट्टी में दूध गंगा जल मिलाकर ले।
जरा सा गाय का गोबर गुड़ गंगाजल मिट्टी को अच्छे से मिला ले ।
शिव जी के बीज मंत्र ॐ नमः शिवाय बोलते हुए पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग का निर्माण स्वयं अपने हाथों से करें।
साथ में सर्प और नंदी अवश्य बनाएं। क्योंकि सर्प शिव जी के आभूषण है तो नंदी शिव जी के द्वारपाल।
सबसे पहले घर के मंदिर को साफ करके दीप प्रज्वलित करें।
शिवलिंग का अभिषेक जल या गंगाजल से करें ।
पंचामृत अभिषेक करें दूध, घी, दही, शक्कर मधु पंच चीजो से शिवलिंग का अभिषेक करें।
रोली तथा चंदन से भगवान शिव को तिलक लगाएं तथा नंदी को भी तिलक लगाएं।
भगवान शिव को वस्त्र अर्पित करें ।
भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
भोग लगाए अपनी क्षमता के अनुसार फल, मिश्री, बतासा, शक्कर भांग आदि का ।
ॐ नमः शिवाय का जाप करते हुए पूजन करें और अंत मे आरती करें तथा दक्षिणा अर्पित करें।
पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व
– पार्थिव शिवलिंग की पूजा से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। शिवजी की अराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं, फिर चाहे वह पुरुष हो या फिर महिला।
– यह सभी जानते हैं कि शिव कल्याणकारी हैं। जो पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजन अर्चना करता है, वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है।
– शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुःखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है।
– यदि प्रति दिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक तथा परलोक में भी अखण्ड शिव भक्ति मिलती है।
– पार्थिव शिवलिंग के सामने समस्त शिव मंत्रों का जाप किया जा सकता है। रोग से पीड़ित लोग महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।