शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार के बीच आज श्रम शक्ति भवन स्थित जल शक्ति मंत्रालय के कार्यालय में संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल-ईआरसीपी लिंक परियोजना के त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की उपस्थिति में सचिव, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय देबाश्री मुखर्जी, मध्य प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन डॉ. राजेश राजौरा और राजस्थान शासन के अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन अभय कुमार ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

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समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित होने के उपरांत मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगभग दो दशकों से लंबित पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना अब मूर्त रूप ले सकेगी। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों को लाभ पहुंचेगा।

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प्रदेश के ड्राई बेल्ट वाले जिलों जैसे मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड और श्योपुर में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी और औद्योगिक बेल्ट वाले जिलों जैसे इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास और राजगढ़ के औद्योगीकरण को और बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश के मालवा और चंबल अंचल में लगभग तीन लाख हेक्टेयर का सिंचाई रकबा बढ़ेगा। परिणामस्वरूप इन अंचलों के धार्मिक और पर्यटन केंद्र भी विकसित होंगे। यह परियोजना निश्चित रूप से पश्चिमी मध्यप्रदेश के लिए एक वरदान है।

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि यह परियोजना 5 वर्ष से कम समय में फलीभूत होगी, जिसकी वर्तमान लागत लगभग 75000 करोड़ रुपए है। प्रदेश के लगभग 1.5 करोड़ आबादी इस परियोजना से लाभान्वित होगी। यह परियोजना प्रदेश की गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, जैसी समस्याओं का समाधान कर प्रदेशवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाएगी।

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इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज का दिन मध्यप्रदेश और राजस्थान के पानी की कमी वाले 26 जिलों के लिए स्वर्णिम सूर्योदय का दिन है। परियोजना से लगभग 5.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के साथ ही बांधों और बड़े तालाबों में पानी का संचय कर जल-स्तर उठाने में सफलता प्राप्त होगी। पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना को पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से एकीकृत कर इसे राष्ट्रीय महत्व की परियोजना का दर्जा देते हुए अत्यंत कम समय में मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों के बीच सहमति बनी जिसके लिए दोनों सरकारें बधाई की पात्र हैं। यह परियोजना संघीय संघवाद का स्वर्णिम उदाहरण है।

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राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा कि इस परियोजना से राजस्थान और मध्यप्रदेश के चंबल बेसिन के जल संसाधनों का बेहतर उपयोग करने में मदद होगी जिससे दोनों राज्यों के औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों को फायदा मिलेगा, और भविष्य में दोनों राज्यों के रिश्ते और प्रगाढ़ होंगे।

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त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन में इस लिंक परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों में कुल 5.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रदान करने के साथ-साथ पूर्वी राजस्थान के 13 जिले और मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र के 13 जिलों में पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। 

समझौता ज्ञापन में लिंक परियोजना के काम का दायरा, पानी का बंटवारा, पानी का आदान-प्रदान, लागत और लाभ का बंटवारा, कार्यान्वयन तंत्र और चंबल बेसिन में पानी के प्रबंधन और नियंत्रण की व्यवस्था शामिल की गई हैं। उल्लेखनीय है कि पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की फिजिबिलिटी रिपोर्ट फरवरी 2004 में तैयार की गई थी तथा वर्ष 2019 में राजस्थान सरकार द्वारा आरसीपी का प्रस्ताव लाया गया था। वर्तमान समझौता ज्ञापन में दोनों परियोजनाओं को एकीकृत कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगभग दो दशकों से लंबित पार्बती-कालीसिंध-चंबल परियोजना अब मूर्त रूप ले सकेगी। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों को लाभ पहुंचेगा। प्रदेश के ड्राई बेल्ट वाले जिलों जैसे कि मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड और श्योपुर में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी और औद्योगिक बेल्ट वाले जिलों जैसे इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास और राजगढ़ के औद्योगीकरण को और बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को पश्चिमी मध्यप्रदेश के लिए वरदान बताते हुए कहा कि इस परियोजना से प्रदेश के मालवा और चंबल अंचल में लगभग तीन लाख हेक्टेयर का सिंचाई रकबा बढ़ेगा। जिससे इन अंचलों के धार्मिक और पर्यटन केंद्र भी विकसित होंगे। प्रदेश की लगभग 1.5 करोड़ आबादी, इस परियोजना से लाभान्वित होगी।

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