Paryushan festival : जैन परम्परा के ऐतिहासिक पर्व पर्युषण का आज से आगाज हो गया है. पर्यूषण जैन परम्परा का एक महान पर्व है. पर्यूषण का शाब्दिक अर्थ है, परि + उष्णता मतलब उष्णता का परित्याग करना. चारों ओर से सिमट कर स्वयं में वास करना. यह पर्व 19 सितंबर से 28 सितंबर तक दिगंबर जैन समाज द्वारा मनाया जाएगा. 10 दिनों तक धार्मिक कार्यक्रम होंगे.
दिगंबर जैन समाज का क्षमा याचना पर्व 28 सितंबर को उत्तम क्षमा के रूप में मनाया जाएगा. पर्व अनुयायी प्रतिवर्ष भादो मास में मनाते है. पर्युषण पर्व को अपनी आत्मा में स्थिरवास करने का समय माना जाता है.
पहले दिन- पहले दिन कोशिश की जाती है कि इंसान अपन अंदर क्रोध का भाव न पैदा होने दे. अगर ऐसा भाव मन में आए भी तो उसे विनम्रता से शांत कर दे.
दूसरे दिन- अपने व्यवहार में मिठास और शुद्धता लाने का प्रयास किया जाता है. आप मन में किसी के लिए घृणा नहीं रख सकते.
तीसरे दिन- इस दिन आप जो सोच लेतें है उस पर अमल करके उसे सफल अंजाम देना आवश्यक है. यानी आपने जो कहा है उसे पूर्ण करना जरूरी है.
चौथे दिन- इस दिन कोशिश की जाती है कि आप कम बोलें, लेकिन अच्छा बोलें, सच बोलें.
पांचवें दिन- मन में किसी भी तरह का लालच नहीं रख सकते. किसी तरह का स्वार्थ आपके मन में नहीं होना चाहिए.
छठे दिन- छठे दिन मन पर काबू रखते हुए संयम से काम लेना जरूरी होता है.
सातवें दिन- मलीन वृत्तियों को दूर करने के लिए जो बल चाहिए, उसके लिए तपस्या करना.
आठवें दिन- पात्र को ज्ञान, अभय, आहार, औषधि आदि सद्वस्तु देना.
नौवें दिन- किसी भी वस्तु आदि के लिए मन में स्वार्थ न रखना.
दसवें दिन- सद्गुणों का अभ्यास करना और अपने को पवित्र रखना.
वर्षभर के पुण्य और पाप का पूरा हिसाब करते (Paryushan festival)
पर्व के दौरान तप कर अपनी काया को निर्मल बनाया जा सकता है. पर्यूषण पर्व को आध्यात्मिक दीपावली की संज्ञा भी दी गई है. जिस तरह दीपावली पर व्यापारी अपने संपूर्ण वर्ष का आय-व्यय का पूरा हिसाब करते हैं ठीक उसी प्रकार पर्यूषण पर्व के आने पर जैन धर्म को मानने वाले लोग अपने वर्षभर के पुण्य व पाप का पूरा हिसाब करते हैं. वह अपनी आत्मा पर लगे कर्म रूपी मेल की साफ-सफाई इस दौरान करते हैं.
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