नई दिल्ली। सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए द्वारा बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद एनडीए के रामविलास पासवान ने दूसरे दलों पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत बयान दिया है. पासवान ने कहा है कि रामनाथ कोविंद के नाम का विरोध करने वाले दलित विरोधी माने जाएंगे.
जाहिर सी बात है कि एनडीए की नज़र दलित वोटबैंक पर है. विरोधी दलों के पास अब ये खतरा है कि वो अगर एनडीए उम्मीदवार का समर्थन नहीं करते हैं तो दलित विरोधी होने का ठप्पा लगाने में एनडीए पीछे नहीं रहेगी. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सभी दलों से दलगत राजनीति से ऊपर उठने की अपील की.
शाह ने दावा किया कि पीएम मोदी ने सोनिया गांधी को भी इस बारे में बताया है. जबकि गुलाम नबी आज़ाद का कहना है कि बीजेपी ने इकतरफ़ा फ़ैसला लिया है. हालांकि उन्होंने कोविंद की उम्मीदवारी पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कोविंद की राजनीतिक पृष्ठभूमि से सहमत नहीं लेकिन उनके प्रति हमारी पार्टी का दृष्टिकोण सकारात्मक रहेगा. वैसे नाम का ऐलान करने से पहले सभी पार्टियों चर्चा की गई होती तो अच्छा होता.
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सलाह मशवरे की गुंजाइश रही नहीं. बीजेपी ने घोषणा कर दी, अब विपक्ष पार्टियां अपना निर्णय लेंगे.