नई दिल्ली . देश के कुछ राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने राजधानी दिल्ली में भी अस्पतालों में एहतियात बरतने के आदेश दिए हैं. इसके तहत दिल्ली के अस्पतालों में फ्लू जैसे लक्षणों के साथ अस्पताल आने वाले सभी मरीजों की कोरोना जांच की जाएगी. कोरोना का स्वरूप पता करने के लिए नियमों के हिसाब से जीनोम सिक्वेंस जांच की जायेगी.

राजधानी दिल्ली में कोरोना के जेएन 1 वेरिएंट का एक भी मामला सामने नहीं आया है. राजधानी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि 19 दिसंबर को केरल में कोरोना की संक्रमण दर 20.75 फीसदी और कर्नाटक में 2.41 फीसदी थी जबकि दिल्ली में हुई लोगों की जांच में संक्रमण दर 0.48 फीसदी रही. दिल्ली सरकार ने आईसीएमआर से राजधानी के कोरोना की जांच से जुड़े आंकड़े साझा करने का अनुरोध किया है.

कोरोना के नए मामलों से संख्या बढ़ी

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के 594 नए मामले दर्ज किए गए जिससे उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 2,669 हो गई जो इससे एक दिन पहले 2,331 थी.

केरल और गोवा में तेजी से फैला केरल और गोवा जैसे राज्यों में कोरोना के केसों में तेजी से इजाफा हुआ है. वहीं एनसीआर की बात करें तो गाजियाबाद और गुरुग्राम में नए मामले मिले हैं. केरल में तो ऐक्टिव केसों की संख्या 2,341 हो गई है, जहां आंकड़ा 2 हजार के पार पहुंचा था. गुरुवार सुबह आए आंकड़ों में केरल में 300 नए केस मिले हैं और तीन लोगों की कोरोना से मौत हुई है.

राजस्थान में चार नए केस राज्य में चार नए मामले सामने आए हैं. जैसलमेर में दो तथा जयपुर में दो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं.

आईसीएमआर ने जारी किए नए दिशानिर्देश

कोरोना के मामले देश में एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं. देशभर में ऐक्टिव केसों की संख्या 2600 से ज्यादा हो गई है और इनमें से 2000 केस तो अकेले केरल में ही पाए गए हैं. ऐसे में आईसीएमआर ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. कोरोना पर लंबी स्टडी करने वाले संस्थान आईसीएमआर द्वारा जारी नई गाइडलाइंस के अनुसार जिन लोगों में कोरोना के लक्षण पाए जाएं, वे तुरंत अलग हो जाएं और आइसोलेशन में रहें. इसके अलावा कोरोना के लक्षण वाले 60 साल से अधिक आयु के लोगों की पहले टेस्टिंग की जाए. एडवाइजरी में कहा गया है कि खांसी, बुखार, गले में खराश, स्वाद और महक न आना, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षणों को गंभीरता से लें और जांच कराएं. गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को टेस्टिंग में प्राथमिकता दी जाए.