पटना। 14 दिसंबर को रामलीला मैदान में कांग्रेस की प्रस्तावित रैली ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। वोट चोरी और SIR जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस जहां सड़क पर उतरने की तैयारी कर रही है वहीं उसके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी इसे जनता से जुड़ा वास्तविक प्रश्न मानने को तैयार नहीं दिखते। वही राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बेहद तीखे शब्दों में कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी लगातार गिरती स्थिति से सबक नहीं ले रही है। कुशवाहा के अनुसार देश और बिहार में कई ऐसे मुद्दे हैं जो सीधे जनता की जिंदगी से जुड़े हैं। अगर कांग्रेस उन्हें उठाए तो शायद उसकी राजनीतिक जमीन मजबूत हो सके। लेकिन SIR जैसा मुद्दा जमीन पर है ही नहीं। अगर वोटर लिस्ट से नाम हटाए जाते तो लोग खुद सड़क पर उतर आते।
उनके इस बयान में राजनीतिक तंज के साथ-साथ यह इशारा भी था कि जनता की असली तकलीफों को नजरअंदाज कर कांग्रेस अपनी ही बनाई कहानी को आगे बढ़ा रही है।
विकास चाहिए तो कानून-व्यवस्था सुधरे- मांझी
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य को सुधारना है तो सबसे पहले प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत करना होगा। उन्होंने कहा कांग्रेस बार-बार वोट चोरी की बात करती है। बिहार की जनता ने उन्हें कई यात्राओं में भी नकार दिया। फिर भी वे उसी बात को दोहराते हैं। यह उनका एक जुमला बनकर रह गया है। इन तमाम राजनीतिक बयानों के बीच बड़ा सवाल यही है कि क्या विपक्ष की आवाज़ जनता की पीड़ा को उठाती है, या फिर यह सिर्फ सियासी स्क्रिप्ट का एक हिस्सा है। कांग्रेस की रैली से पहले ही नेताओं की यह तीखी प्रतिक्रिया बताती है कि मुकाबला सिर्फ सड़क पर नहीं, जनता की धारणा में भी होने वाला है।
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