कुंदन कुमार, पटना. बिहार में पूर्ण शराबबंदी है और शराबबंदी के दौरान अगर कोई व्यक्ति शराब पीता है तो ब्रेथ एनालाइजर के द्वारा इसकी जांच की जाती है. जांच में शराबी पीने की पुष्टि होने के बाद व्यक्ति पर कार्रवाई होती है. हालांकि पटना हाई कोर्ट ने अब अपने फैसले में यह तय कर दिया है कि शराबबंदी कानून के तहत केवल ब्रेथ एनालाइजर रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी, जो प्राथमिकी एनालाइजर रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की गई है. वह प्राथमिकी अवैध है.
खून और पेशाब जांच की रिपोर्ट से होगी पुष्टि
कोर्ट ने कहा है कि, एनालाइजर मशीन की रिपोर्ट किसी व्यक्ति के मद्यपान करने का कोई ठोस प्रमाण नहीं देता है. ब्रेथ एनलाइजर मशीन की रिपोर्ट का समर्थन किसी प्राथमिकी में दर्ज हुई आरोपी के और सामान्य व्यवहार जैसे लड़खड़ाती जवान या चढ़ी हुई आंखें जैसे हालात से समर्थित होनी चाहिए या उनके खून और पेशाब जांच की रिपोर्ट जो इस बात की पुष्टि करें कि आरोपी के शरीर में अल्कोहल की मात्रा है. तभी वैसे प्राथमिकी शराबबंदी कानून के तहत मान्य और वैध होगी.
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकल पीठ ने नरेंद्र कुमार राम की अपराधिक रिट याचिका को मंजूर करते हुए उनके खिलाफ किशनगंज एक्साइज थाने में पिछले वर्ष में दर्ज हुई प्राथमिकी को निरस्त कर दिया है.
ये भी पढ़ें- पटना जंक्शन पर बड़े रेल हादसे को दावत दे रही बेकाबू भीड़, जान को जोखिम में डालकर प्रयागराज की यात्रा कर रहे यात्री
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें