पटना। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की ओर से तीन साल तक परीक्षा से वंचित किए गए एक अभ्यर्थी को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने आयोग के फैसले को न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध करार देते हुए रद्द कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता तारकेश्वर पांडेय के पक्ष में सुनाया।
याचिका में बताया गया कि बीपीएससी ने 19 फरवरी 2025 को एक आदेश जारी कर तारकेश्वर पांडेय को 12 दिसंबर 2024 से 12 दिसंबर 2027 तक किसी भी परीक्षा में बैठने से वंचित कर दिया था। आयोग ने यह कार्रवाई एक वायरल वीडियो क्लिप के आधार पर की थी जिसमें परीक्षा के दौरान हुई गड़बड़ी पर तारकेश्वर का बयान दिखाया गया था।

मीडिया क्लिप को आधार बना कर की गई कार्रवाई

तारकेश्वर पांडेय के अनुसार परीक्षा के दिन प्रश्नपत्र 30 मिनट की देरी से बांटे गए थे। इस पर उन्होंने मीडिया से बात की थी, लेकिन उनके बयान को काट-छांट कर वायरल कर दिया गया। आयोग ने बिना उनकी विस्तृत सफाई पर विचार किए सिर्फ इस एडिटेड क्लिप के आधार पर उन्हें डिबार कर दिया।

कोर्ट ने कहा- BPSC का आदेश तर्कसंगत नहीं

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि BPSC की ओर से की गई कार्रवाई न्यायोचित नहीं है। बिना स्पष्ट और ठोस कारण बताए किसी अभ्यर्थी को इस तरह डिबार करना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी दंडात्मक आदेश में स्पष्ट रूप से कारणों का उल्लेख आवश्यक है।

आयोग का आदेश रद्द, अभ्यर्थी को मिली राहत

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आयोग का आदेश तर्कसंगत और न्यायसंगत नहीं है इसलिए इसे रद्द किया जाता है। इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता को अब आगामी बीपीएससी परीक्षाओं में शामिल होने से कोई रोक नहीं होगी।

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