पटना। राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में गुरुवार को जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए, जिसके चलते ओपीडी और इमरजेंसी दोनों सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई। अचानक बिगड़ी स्थिति के कारण इलाज कराने आए लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। करीब दो हजार मरीज बिना इलाज लौटने को मजबूर हुए, जबकि सौ नए मरीजों को भर्ती भी नहीं किया जा सका।

मौत के बाद परिजन भड़क गए

हड़ताल की शुरुआत सुबह उस समय हुई जब 70 वर्षीय मरीज सुरेश सिंह की मौत के बाद उनके परिजन भड़क गए। मृतक को मेडिसिन इमरजेंसी में भर्ती किया गया था। परिजनों का आरोप है कि जानकारी देने के बाद डॉक्टरों ने ठीक से प्रतिक्रिया नहीं दी और बात-बात पर अभद्रता की। उन्होंने दावा किया कि बहन द्वारा मृत शरीर गर्म होने की बात कहने पर डॉक्टर उल्टा भड़क गए और मारपीट की। अमन सिंह के अनुसार डॉक्टरों ने हेलमेट और डंडों से हमला किया जिसकी वीडियो रिकॉर्डिग उनके पास है।

उपचार में कोई लापरवाही नहीं हुई

दूसरी ओर जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि उपचार में कोई लापरवाही नहीं हुई। मरीज को मैसिव ब्रेन हेमरेज था और उसकी स्थिति पहले से गंभीर थी। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि परिजनों ने महिला डॉक्टर सहित कई चिकित्सकों से हाथापाई की और एप्रन तक फाड़ दिए, जबकि सुरक्षा गार्ड मूकदर्शक बने रहे।

थाने में शिकायत दर्ज कराई

घटना के बाद दोनों पक्षों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है और पुलिस जांच में जुटी है। वहीं जूनियर डॉक्टरों ने सुरक्षा की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है। जेडीए ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं अस्पताल में तुरंत प्रभावी सुरक्षा व्यवस्था, डॉक्टरों पर हिंसा होने पर स्वतः FIR और स्वास्थ्य संस्थानों में हिंसा रोकने के लिए कड़े कानून लागू करना की मांग की।