पटना। राजधानी में गुरुवार से सफाईकर्मी और वॉटर बोर्ड के कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। इस हड़ताल के कारण पूरे शहर में गंदगी का अंबार लगा है। बारिश के मौसम में यह स्थिति और गंभीर हो गई है क्योंकि गंदगी फैलने से डेंगू, मलेरिया और कई संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। लगभग 4000 कर्मचारी अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
11 सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन
पटना नगर निगम चतुर्थवर्गीय कर्मचारी महासंघ के बैनर तले सफाईकर्मी और वॉटर बोर्ड के कर्मचारी हड़ताल पर हैं। उनकी प्रमुख मांगों में दैनिक कर्मियों की सेवा को स्थायी करना, निजीकरण समाप्त करना, स्थाई बहाली, प्रभारी व्यवस्था समाप्त करना, पद के अनुरूप वेतनमान देना, सेवानिवृत और मृत कर्मियों के बकाया अंतरराशि का भुगतान करना, समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना और निजी एजेंसियों की मनमानी पर रोक लगाना शामिल है।
पहले ही ज्ञापन सौंपा गया था
महासंघ के प्रधान महासचिव नंद किशोर दास ने बताया कि इन मांगों को लेकर मेयर, डिप्टी मेयर, कार्यपालक पदाधिकारी और नगर विकास मंत्री को पहले ही ज्ञापन सौंपा गया था। बावजूद इसके अब तक न तो वार्ता हुई और न ही कोई ठोस कदम उठाया गया। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार और निगम प्रशासन जानबूझकर उन्हें हड़ताल के लिए मजबूर कर रहे हैं और पटना की 25 लाख की आबादी को गंदगी में जीने के लिए छोड़ दिया गया है।
सीएम हाउस तक मार्च की कोशिश
गुरुवार को कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री आवास तक पैदल मार्च के लिए निकले, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया। इस दौरान मजिस्ट्रेट एमएच खान मौके पर पहुंचे और हालात को संभालने की कोशिश की। इसके बाद नंद किशोर दास को मजिस्ट्रेट द्वारा मुख्यमंत्री सचिवालय ले जाया गया, जहां उन्होंने 11 सूत्री मांग पत्र सौंपा।
आश्वासन के बावजूद हड़ताल जारी
मुलाकात के दौरान अधिकारियों की ओर से आश्वासन दिया गया कि कर्मचारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और जल्द ही समाधान निकाला जाएगा। हालांकि, कर्मचारियों ने साफ किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप
हड़ताल के कारण पूरे शहर की सफाई व्यवस्था ठप हो गई है। कूड़े के ढेर सड़कों पर दिखाई देने लगे हैं और नालों की सफाई बंद हो गई है। लोगों को अब गंदगी और दुर्गंध से जूझना पड़ रहा है। पटना के नागरिकों को डर है कि अगर यह हड़ताल लंबी चली तो शहर में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
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