कुंदन कुमार/पटना। शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है और पूरा देश माता रानी की भक्ति में लीन है। पटना का नौलखा दुर्गा मंदिर इस समय श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां एक भक्त बाबा नागेश्वर दास पिछले 29 वर्षों से अनोखी साधना कर रहे हैं जो हर किसी को हैरान कर देती है।
सीने पर 21 कलश रखकर करते हैं तपस्या
62 साल से अधिक उम्र के बाबा नागेश्वर दास मां दुर्गा की पूजा एक अलग ही शैली में करते हैं। वह हर साल शारदीय नवरात्रि के दौरान अपने सीने पर 21 कलश रखकर लगातार 10 दिनों तक लेटे रहते हैं। इन कलशों का वजन लगभग 70 किलोग्राम होता है। यह कोई सामान्य भक्ति नहीं बल्कि हठयोग की कठिन साधना है।
ना खाना, ना पानी, ना विश्राम
इस 10 दिनों की साधना के दौरान बाबा न तो कुछ खाते हैं, न पीते हैं और न ही कलश को एक बार भी हटाते हैं। यह साधना शरीर और मन दोनों की परीक्षा है। बाबा का मानना है कि यह कठिन तप समाज के कल्याण और धर्म की रक्षा के लिए किया जाता है।
मनोकामना मंदिर कहलाता है नौलखा दुर्गा मंदिर
नौलखा दुर्गा मंदिर के प्रबंधन समिति के सचिव विजय यादव के अनुसार यह मंदिर भक्तों की हर मन्नत पूरी करता है। इसी वजह से इसे मनोकामना मंदिर भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि बाबा नागेश्वर दास जैसे भक्तों की साधना से यह मंदिर और भी पावन हो गया है।
समाज के लिए एक संदेश
बाबा नागेश्वर दास की यह साधना सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि यह त्याग, संयम और समाज के लिए सेवा की मिसाल भी है। आज के दौर में जब भक्ति सिर्फ रस्म बनती जा रही है, ऐसे में बाबा जैसे हठयोगी साधक प्रेरणा का स्रोत हैं।
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