पटना: बिहार सरकार ने नैनिहालों की सेहत का ख्याल रखते हुए मध्याह्न भोजन योजना में बदलाव किया है। प्रदेश के सभी सरकारी विद्यालयों में अब पायलट प्रोजेक्ट के तहत भोजन का वितरण किया जाएगा। शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ द्वारा जारी निर्देश के अनुसार 13 मई से 13 जून तक सभी जिलों के एक-एक प्रखंड के स्कूलों में यह व्यवस्था लागू की जाएगी।
मध्याह्न भोजन योजना के संचालन में हुए बदलाव से संभावना है कि बच्चों की सेहत पर भी इसका अच्छा असर पडेगा । अभी तक प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षकों को ही योजना के लिए आगे रखा जाता था, लेकिन अब सरकार के नए निर्णय के मुताबिक अन्य शिक्षकों को मध्याह्न भोजन योजना के संचालन की जिम्मेदारी दी जाएगी।

बच्चों के साथ सेल्फी…

बिहार में शिक्षा विभाग ने इस बात पर पूरा फोकस किया है कि बच्चों की सेहत के साथ किसी तरह का खिलवाड़ न हो. इसलिए जिन प्रभारी शिक्षकों को मध्याह्न भोजन योजना की जिम्मेदारी दी जा रही है। वह विद्यालय के शुरु होने के एक घंटे बाद बच्चों के साथ सेल्फी लेकर इसे विभागीय अधिकारियों को भेजेंगे। प्रभारी शिक्षक ही पायलट प्रोजेक्ट के तहत बच्चों की उपस्थिती के अनुसार ही विद्यालय में खाना बनाने वाले रसोइए को सामग्री उपलब्ध करागें। इसके साथ ही यही शिक्षक खाने की गुणवत्ता को लेकर इसकी परख भी करेंगे।

शैक्षणिक गतिविधियों का बेहतर संचालन…

एमडीएम योजना के लिए प्रभारी बनाये गए शिक्षकों का पूरा ध्यान व्यवस्था पर नजर बनाए रखना होगा। इन शिक्षकों हर रोज तीन घंटे तक ही बच्चों को पढ़ाना रहेगा अन्य समय यह शिक्षक मिली नई जिम्मेदारी को मजबूत ढ़ंग से आगे बढ़ाने का काम करेंगे जिससे कि बच्चों को सरकार की सुविधा का लाभ भरपूर तरीके से मिल सके और वह शारीरिक और मानसिक रूप से आगे बढ़ने के लिए तैयार रहें। विभाग ने मध्याह्न भोजन योजना से शिक्षा विभाग ने विद्यालयों के प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक को इस जिम्मेदारी से दूर किया है। अब प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक का पूरा ध्यान शैक्षणिक गतिविधियों के बेहतर संचालन पर बना रहेगा।

प्रधानाध्यापक को नया काम


उधर कुछ दिन पहले शिक्षा विभाग में एक फरमान जारी करते हुए प्रधानाध्यापक को नया काम दे दिया था। बिहार के स्कूलों में बच्चों को शौचालय, बेंच-डेस्क, बिजली और बिल्डिंग जैसी सुविधाओं की कमी से नहीं जूझना पड़ेगा। राज्य सरकार ने एक नई व्यवस्था लागू की है, जिसके तहत स्कूल की सभी जरूरतों और समस्याओं की जानकारी अब खुद स्कूल के प्रधानाध्यापक देंगे। वे अपने विद्यालय का सर्वे कर सारी जानकारी ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड करेंगे।