Paush Mahina: 16 दिसंबर 2024 से पौष माह शुरू हो रहा है जो 13 जनवरी 2025 को समाप्त होगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने का अपना विशेष महत्व होता है. हर महीना किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है और उस महीने में उनकी विशेष पूजा की जाती है. पौष मास में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, पौष माह वर्ष का दसवां महीना है जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद शुरू होता है. इस साल पौष माह 16 दिसंबर से शुरू हो गया है. पोष माह में भग नामक सूर्य की पूजा की जाती है. अथर्ववेद और सूर्य उपनिषद में सूर्य देव को परब्रह्म माना गया है. शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव का रंग रक्त के समान है.
सूर्य देव की पूजा करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रोजाना स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. प्रतिदिन भगवान सूर्य को जल चढ़ाने से भगवान सूर्य प्रसन्न होते हैं और जीवन, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, यश, सफलता, विद्या, प्रसिद्धि और सौभाग्य की कृपा प्रदान करते हैं. आप शाम के समय भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य भी दे सकते हैं. सूर्य भगवान के मंत्र का जाप भी बहुत लाभकारी होता है. सूर्य मंत्र-ॐ श्री सूर्य देवाय नमः
Paush Mahina के नियम
- पौष माह में कंबल, गर्म कपड़े, गुड़, तिल आदि का दान करें.
- इस माह में सूर्य के अलावा भगवान विष्णु की भी पूजा करें.
- पौष माह में मांस-मदिरा का सेवन न करें.
- इस माह में सूर्य देव को तांबे के लोटे से ही जल चढ़ाएं.
अगर आप इस महीने में व्रत रखने में सक्षम हैं तो आपको रविवार का व्रत करना चाहिए और भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए. केवल फलाहार करना चाहिए. रविवार के व्रत के दिन सूर्यदेव को तिल-चावल की खिचड़ी का भोग लगाएं.
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