सुधीर दंडोतिया, भोपाल। पीएम नरेंद्र मोदी 31 मई को मध्य प्रदेश दौरे पर आ रहे हैं। इससे पहले पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा हैं। जिसमें उन्होंने महिला सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य से जुड़े कई तीखे सवाल पूछे है। पीसीसी चीफ ने कहा कि एमपी की महिलाओं की अनसुनी बातों को जरूर सुने।

एमपी पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने पीएम मोदी का एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने लिखा- कल (31 मई) आप भोपाल के जंबूरी मैदान में मध्यप्रदेश की माताओं-बहनों से संवाद करने आ रहे हैं। देवी अहिल्याबाई होल्कर जैसी ऐतिहासिक विभूति की 300वीं जयंती पर महिला शक्ति का सम्मान होना चाहिए, इसमें कोई दो राय नहीं! लेकिन, करोड़ों के कर्जदार प्रदेश में सरकारी खर्च पर हो रहे इस उत्सव के शोर में कुछ और भी सुनाई दे रहा है ! मध्य प्रदेश की लाखों महिलाओं की सिसकियों में दबी आवाज को इस इवेंट के जरिए भी दबाया जा रहा है ! वही आवाजें जो आज भी सुरक्षा, सम्मान, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए संघर्ष कर रही हैं।

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जीतू ने आगे लिखा कि आपसे निवेदन है कि कल मंच पर खड़े होने से पहले इन तथ्यों पर भी एक बार नजर जरूर डालें

महिला सुरक्षा : आंकड़े चीख रहे हैं!

NCRB की रिपोर्ट कहती है कि महिला अपराधों में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है!
अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के विरुद्ध अत्याचारों में भी हमारा प्रदेश देश में शीर्ष पर है!
बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में इंदौर, भोपाल, ग्वालियर जैसे शहर रेड जोन घोषित हो चुके हैं!

लाड़ली बहना : छल की कहानी

विधानसभा चुनाव से पहले लाड़ली बहनों से ₹3000 प्रतिमाह देने का वादा किया गया !
हकीकत यह है कि औसतन ₹1250 ही दिए जा रहे हैं, वह भी अनियमित तरीके से !
कई पात्र महिलाएं तकनीकी कारणों से योजना से वंचित हैं, न कोई अपील की व्यवस्था, न सुनवाई का मंच !

शिक्षा : आंकड़ों की हकीकत

ग्रामीण बालिकाओं की स्कूल ड्रॉपआउट दर 22% से अधिक है! इसके लिए सरकारी गंभीरता कब दिखाई देगी?
स्कूलों में शौचालय, सैनिटरी पैड्स, महिला शिक्षिकाएं, अन्य बुनियादी सुविधाएं तक अधूरी हैं !
शिक्षा के बजट का उपयोग कहां और कैसे हो रहा है, इस सच को सरकार कब स्वीकार करेगी?

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स्वास्थ्य : आंकड़े डराते हैं!

मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है! कागजी योजनाएं महिलाओं का भला नहीं कर पा रही हैं!
60% से अधिक महिलाएं हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) से जूझ रही हैं!
ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था आज भी भगवान भरोसे ही है!

राजनीतिक खोखलापन

राज्य सरकार में महिला मंत्रियों की संख्या अंगुलियों पर गिनी जा सकती हैं, क्यों?
पंचायतों और नगरीय निकायों में 33% आरक्षण होते हुए भी निर्णय लेने की शक्ति अब भी पुरुषों के पास केंद्रित है!
राजनीतिक उपेक्षा के इस सरकारी दंश को मध्य प्रदेश की महिलाएं कब तक सहेंगी?

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री जी, यह सच है कि कल मंच पर महिला पुलिसकर्मी तैनात होंगी, स्टॉल महिलाएं लगाएंगी और कार्यक्रम की कमान भी महिलाएं ही संभालेंगी! हो सकता है यह दिखावा मीडिया के जरिए फिर से “अच्छा” भी दिखाया जाए ! लेकिन, क्या यह वास्तविक सशक्तिकरण है या एक और दिखावे का उत्सव ? देवी अहिल्याबाई होल्कर ने शासन, न्याय, धर्म और समाज के हर क्षेत्र में जनहित और नारी सम्मान को प्राथमिकता दी! क्या भाजपा उनकी उसी परंपरा को आगे बढ़ा रही है या केवल उनके नाम का राजनीतिक दुरुपयोग कर रही है?

पीसीसी चीफ ने की ये मांग

पटवारी ने पीएम मोदी से अनुरोध की है कि जंबूरी मैदान में भाषण देने से पहले महिलाओं से जुड़ी मध्य प्रदेश की इन असली समस्याओं पर गहराई से मंथन जरूर करें ! क्योंकि, केवल नारों से नहीं, नीतियों की ईमानदार समीक्षा और ज़मीनी क्रियान्वयन से ही महिला कल्याण संभव है!

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