रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालाय राजीव भवन में आज प्रदेश स्तरीय किसान अधिकार दिवस (धरना- प्रदर्शन) आयोजित किया गया। जिसमें प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम सहित विधायकगणों ने मोदी सरकार द्वारा लागू किये गय तीन किसान विरोधी काले कानून का वापस लेने के लिये कहा। प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि अन्नदाता किसानो के उपर मोदी सरकार जबरिया किसान विरोधी कानून को थोप रही है, जबकि पूरे देश के 62 करोड़ से अधिक किसान इन काले कानून के विरोध में है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि पहले चाय बेचने वाला आज पूरे देश के सरकारी उपक्रमों को बेच रहा है और किसान विरोधी इस काले कानून से देश किसानों का नहीं वरन मोदी अपने चंद उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाना चाहते है।

राजीव भवन से हजारों की संख्या में प्रदेश भर के आये हुए किसान कांग्रेस विधायकगण और कार्यकर्ताओं ने रैली के रूप में राज भवन की ओर कूच किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम खुद ट्रैक्टर चलाते हुये राजभवन पहुंचे। राजभवन में राज्यपाल अनुसुईया उइके से चर्चा करते हुये प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, राज्यसभा सासंद छाया वर्मा, ,वरिष्ठ विधायक सत्यानारायण शर्मा, वरिष्ठ विधायक धनेन्द्र साहू ने चर्चा कर राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद के नाम ज्ञापन सौंपा।

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित ज्वाहर लाल नेहरू ने कहा था, ‘सब कुछ इंतजार कर सकता है पर खेती नहीं’

मोदी सरकार ने देश के किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षडयंत्र किया है। केन्द्रीय भाजपा सरकार तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की साजिश कर रही है। देश के अन्नदाता व भाग्य- विधाता किसान तथा खेत मजदूर की मेहनत को चंद पूंजीपतियों के हाथों गिरवी रखने का षडयंत्र किया जा रहा है।

आज देश भर में 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ आवाज उठा रहे है, पर प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी व उनकी सरकार सब ऐतराज दरकिनार कर देश को बरगला रहे है। अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर, संसद में उनके नुमाइदों की आवाज को दबाया जा रहा है। और सड़को पर किसान, मजदूरों को लाठियों से पिटवाया जा रहा हे।

संघीय ढांचे का उल्लंघन कर , संविधान को रौंदकर, संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर तथा बहुमत के आधार पर बाहुबली मोदी सरकार ने संसद के अंदर तीन काले कानूनों को जबरन तथा बगैर किसी चर्चा व राय मशवरे के पारित कर लिया है। यहा तक कि राज्यसभा में हर संसदीय प्रणाली व प्रजातंत्र को तार-तार कर ये काले कानून पारित किए गये। कांग्रेस पार्टी सहित कई राजनैतिक दलों ने मतविभाजन की मांग की, जो हमारा संवैधानिक अधिकार है।

मोदी सरकार से न्याय मांग रहे देश के अन्नदाता किसानों को षडयंत्रपूर्वक थकाने व झुकाने की कोशिश कर रही है। तीनो काले कानून को खत्म करने के बजाय 50 दिनों से बैठक कर रही है और तारीख पर तारीख दे रही है। लगभग 50 दिनों से देश की अन्नदाता देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर काले कानून को खत्म करने की गुहार लगा रहे। हाड़ कपाती सर्दी- बारीश एवं ओलों से 60 से अधिक किसान अन्नदाताओं ने अपनी कुर्बानी दी है।

एक तरफ किसान जहां उक्त तीनो काले कानूनो के खिलाफ आंदोलनरत है वही दूसरी ओर सरकार डीजल एवं पेट्रोल की कीमतों मे वृद्धि कर किसानों और देश की आम जनता की दैनिक अर्थव्यवस्था पर बोझ डाल रही है। पिछले 73 वर्षो में सबसे ज्यादा पेट्रोल-डीजल की मूल्यों मे वृद्धि हुयी है। पिछले 6 वर्षो में मोदी सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थो के उत्पाद शुल्क मे वृद्धि हुयी है। पिछले 6 वर्षो में मोदी सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थो के उत्पाद शुल्क में काफी वृद्धि की है, जो इस प्रकार है- पेट्रोल का उत्पाद शुल्क मई 2014 में 9.20 रूपये प्रति लीटर था। जिसे बढ़ाकर वर्तमान में 32.98 रूपये कर दिया गया है, इसी प्रकार डीजल में उत्पाद शुल्क मई 2014 में 3.46 रूपये प्रति लीटर था जिसे वर्तमान में 31.83 रूपये प्रति लीटर कर दिया गया है, जबकि वर्तमान कच्चे तेल की कीमत 110 डालर प्रति बैरल से घटकर 50 डालर प्रति बैरल हो गया है। इस प्रकार मोदी सरकार अकेले पेट्रोल एवं डीजल के उत्पाद शुल्क में वृद्धि कर अतिरिक्त 19 लाख करोड़ रूपये एकत्रित किये है, यह सब देश की किसानो के साथ-साथ आमजनता के जीवन पर प्रभाव डाल रहा है।

महामारी की आड़ में किसानो की आपदा को मुट्ठीभर पूंजीपतियों के अवसर में बदलने की मोदी सरकार की साजिश को देश का अन्नदाता किसान व मजदूर कभी नही भूलेगा। इसलिए आपसे विनम्र आग्रह है कि इन तीनो काले कानूनो को बगैर देरी निरस्त करते हुये देश में पेट्रोलियम पदार्थो (डीजल- पेट्रोल) की कीमतों पर की जा रही बेतहाशा वृद्धि को वापस लिये जाने हेतु अविलंब हस्तक्षेप करने की कृपा करेंगे।