रायपुर. मोदी सरकार सेना में चार साल के लिए युवाओं की भर्ती करेगी. इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि अब मोदी सरकार सेना को भी ठेका प्रथा से चलाएगी. चार साल का ठेका खत्म के बाद युवाओं के भविष्य का क्या होगा? सैन्य विशेषज्ञों, तीनों सेनाओं के उच्चतम अधिकारियों व रक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने मोदी सरकार की इस पूरी स्कीम पर गहन चिंता जताई है.

एक से अधिक सैन्य अधिकारियों व विशेषज्ञों ने कहा है कि मोदी सरकार का यह फैसला भारतीय सेनाओं की गरिमा, परंपरा, जुड़ाव की भावना व अनुशासन की परिपाटी के साथ खिलवाड़ है. रक्षा विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि 4 साल की कॉन्टैंक्ट भर्ती देश की सुरक्षा के लिए उचित संदेश नहीं, यह निर्णय कहीं न कहीं तीनों सेनाओं की कार्यक्षमता, निपुणता, योग्यता, प्रभावशीलता व सामर्थ्य पर समझौता करने वाला है. सबसे चिंता का विषय है कि चार साल के बाद इन युवा सैनिकों के भविष्य का क्या होगा? यह सब तब किया जा रहा है, जब भारत के दो एक्टिव बॉर्डर है तथा देश पाकिस्तान व चीन के साथ जुड़ी सीमा पर लगातार संघर्षरत है.

सुविधाओं में कटौती करने बनाई है स्कीम
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार बताए तीनों सेनाओं में 2,55,000 से अधिक पद खाली क्यों पड़े हैं. मोदी सरकार ने 2 साल से सेनाओं की भर्ती क्यों रोक रखी है? ‘अग्निवीर स्कीम’ से तीनों सेनाओं में हर साल 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत कम यह स्कीम केवल तनख्वाह, पेंशन, हैल्थ बेनेफिट्स व कैंटीन सेवाओं आदि में कटौती करने के लक्ष्य से बनाई गई है.


ट्रेनिंग किए लोगों को छोड़ेंगे कैसे?
मरकाम ने कहा कि भारत की तीनों सेनाओं की एक विशेष गरिमा, इतिहास, चरित्र व अनुशासन की परिपाटी है. सेना में सबसे बड़ा एस्सेट सैनिक है, जो ‘यूनिट’ के जुड़ाव के आधार पर लड़ता है और देश की रक्षा करता है. नौ सेना व वायु सेना के ज्यादातर पद टेक्निकल हैं व उन्हें एक स्पेशलिस्ट काडर की जरूरत है. इस स्पेशलिस्ट काडर में टेंनिंग की अवधि ही 1.5 से 2 साल है तथा कुछ समय एडवांस ईक्विपमेंट्स को जानने व समझने में भी लगता है. ऐसे में ट्रेनिंग कैसे देंगे और चार साल बाद इन ट्रेनिंग किए गए लोगों को छोड़ेंगे कैसे?


युवा अपने भविष्य का निर्माण कैसे करेंगे?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि चार साल के बाद इन युवाओं के भविष्य का क्या होगा? चार साल के बाद 22 से 25 साल की उम्र में बगैर किसी अतिरिक्त योग्यता के ये युवा अपने भविष्य का निर्माण कैसे करेंगे? क्या यह सही नहीं कि 15 साल की सेवा के बाद जब रैग्युलर सैनिक भी वापस घर लौटता है, तो उसे अधिकतर समय केवल बैंक में गार्ड या सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी ही मिल पाती है तो ऐसे में चार साल की कॉन्टैंक्ट सेवा के बाद यह 23 से 25 साल का युवा क्या कर सकेगा? क्या वह रोजी-रोटी तथा अच्छी जिंदगी की तलाश में कहीं किसी गलत मार्ग की तरफ तो आकर्षित नहीं हो जाएगा? क्या मोदी सरकार इन चिंताओं और संभावनाओं का जवाब देगी?