रायपुर/सोमवार/29.05.17
मकान आबंटन मामले में लगे आरोपों की बीच आज भूपेश बघेल ने मीडिया के सामने कई दस्तावेजों को प्रस्तुत कर अपनी सफाई दी। भूपेश बघेल ने कहा वे अपने ऊपर लगे आरोपों पर परिवार के साथ ईओडब्लू में दर्ज मामले पर बयान दर्ज कराने पहुँचे थे लेकिन उनका आज तक बयान नहीं लिया गया। जाहिर तौर सरकार उन्हें सिर्फ राजनिति क्षति पहुँचाने के लिए झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की। उन्हें साडा ने पूरी प्रकिया के तहत प्लाट आबंटन किया था।

सन 1995 में प्लाट आबंटन हुआ था। उस समय मैं विधायक होने के नाते साडा का पदेन सदस्य था। तब साडा के सदस्य और अधिकारियों को सस्ते दर भूखंड आबंटित किये गए। हमने कोई वैकल्पिक भूखण्ड नहीं मांगे थे, ना हमने भूखण्ड कहाँ चाहिए इसे लेकर कोई सुझाव दिए। आरटीआई से मिले दस्तावेजों को जाँचने के बाद पता चला कि जो भूखण्ड आंबटन हुआ था उसमें कही गरीबी रेखा कोई जिक्र नहीं हैं। बल्कि उनके साथ धोखा हुआ है। भूखण्ड 94 रुपए में होना था लेकिन हमसे 110 रुपये फुट दर के हिसाब से पैसे लिए। उस समय गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों का वार्षिक आय 6 हजार था। लेकिन हमने खुद को गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला बताकर भूखंड नहीं लिया बल्कि पूरी जानकारी देकर भूखण्ड लिए।

उस दौरान सामान्य वर्ग के डागा, अग्रवाल, राठी जैसे लोगों को भी भूखण्ड आबंटित किया। सरकार की नीयत साफ नहीं है। सिर्फ राजनीतिक नुकसान पहुँचाने के लिए भूखंड को लेकर साजिश रची गई। ईओडब्लू के एडीजी मुकेश गुप्ता को भी दुर्ग एसपी रहते सस्ते दर पर भूखंड आबंटित हुआ था। ऐसे और कई और लोग थे। नेहरू नगर में 13 रुपये वर्ग फुट में मुकेश गुप्ता को प्लाट मिला था। भूपेश बघेल ने सरकार से सवाल किया कि मेरी मां और पत्नी के खिलाफ किस आधार पर ईओडब्लू में मामला दर्ज किया? जाहिर तौर पर रमन सरकार सत्ता का दुरूपयोग करके भूपेश बघेल की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। लेकिन भूपेश बघेल कभी भी किसी सत्ता के दबाव में नही आने वाला है।